Kashmir: जम्मू कश्मीर में परिसीमन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट में याचिका दाखिल कर केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि यह परिसीमन Jammu Kashmir Reorganization Act 2019 और संविधान के अनुच्छेद 81, 82,170, 330, 332 के खिलाफ है। याचिका में जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग के गठन को भी असंवैधानिक बताया है।
सवाल उठाया है कि संविधान के अनुच्छेद 170 के तहत देश में अगला परिसीमन 2026 में होना ही है। ऐसे में अलग से जम्मू- कश्मीर में परिसीमन क्यों किया जा रहा है? दरअसल जम्मू कश्मीर के रहने वाले हाजी अब्दुल गनी खान और डॉक्टर मोहम्मद अयूब मट्टू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है, कि परिसीमन आयोग का गठन कानून की सीमा से परे है। इस परिसीमन के जरिए जम्मू कश्मीर विधानसभा के लिए 83 की जगह 90 सीटें हो जाएंगी। जिन पर चुनाव लड़ा जाएगा।
Jammu -Kashmir विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में बदलाव का प्रस्ताव दिया
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त पदेन सदस्य हैं।जम्मू-कश्मीर में अभी विधानसभा नहीं है. केंद्रशासित प्रदेश में एक विधायिका का प्रावधान किया गया है।
आयोग ने अपना ड्राफ्ट पेश किया है। जिसके बाद केंद्र शासित प्रदेश के राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताई है। परिसीमन आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है। आयोग ने 4 फरवरी को सहयोगी सदस्यों को ड्राफ्ट भेजा था।14 फरवरी तक आपत्ति दर्ज कराने को कहा था।
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