आधार की संवैधानिकता और अनिवार्यता पर मंगलवार (6 फरवरी) को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने आधार नंबर ना होने की वजह से होने वाली दिक्कतों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस उल्लेख के मुख्य पहलू मौत औऱ नागरिकों की गरिमा है। आधार कार्ड की वजह से अनुच्छेद 21 पर असर पड़ रहा है। संविधान के मुताबिक शरीर मेरी व्यक्तिगत संपत्ति है, इसका उपयोग कैसे करना है वो मैं तय करूँगा, सरकार नही।
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वित्तीय अऩियमितता रोकने के लिए आधार है और इसके लिए संविधान की मंजूरी नहीं भी हो सकती है। श्याम दीवान ने कहा कि हम एक ऐसे प्लेटफॉर्म पर कैसे भरोसा कर सकते हैं जो पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या यूआईडीएआई आंकड़े जारी कर रहा है या यह डेटा चोरी हो रहा है?
श्याम दीवान ने कहा आंकड़ों की देखभाल एक तीसरी कंपनी सहेज रही है इसीलिए ये असुरक्षित है।
उन्होंने एक अखबार की खबर का हवाला दिया कि उत्तर प्रदेश के कानपुर, देवरिया और कुशीनगर में रासायनिक तौर पर लोगों की उंगलियों के नकली निशान की मदद से फर्जी आधार कार्ड बनवाएं। उन्होंने बताया कि 15 नवंबर तक 6 करोड़ 23 लाख उंगलियों के निशान दोहराए जाने की वजह से खारिज हो गये।
सुनवाई के दौरान एक और याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि टेक्नोलॉजी इतनी तेजी से बदल रही है कि इस बारे में कल क्या होगा न तो बेंच को पता है न ही जानकारों को। सूचना सबसे बड़ी ताकत है और जिसके पास आंकड़ों की जानकारी होगी वही शासन करेगा। सूचना ताकत है और जब यह ताकत राज्य को मिल जाएगी तो राज्य इसका पूरा इस्तेमाल करेगा।
उन्होंने कहा कि मेरे अंगूठे का निशान मेरी सम्पत्ति है। सरकारी योजनाओं और सेवाओं का उपभोग मेरा अधिकार है पहचान नहीं। सरकार मेरी पहचान को ही सेवा की शर्त बना रही है। जबकि इन दोनों का आपस में कोई लेना देना नहीं होना चाहिए। सरकार आधार एक्ट के ज़रिए जनता को इतना कंट्रोल करना चाह रही है कि जनता के पास कोई विकल्प ही नहीं बचेगा जबकि विकल्प या पसंद संविधान की आत्मा है।
उन्होंने कहा कि हर तकनीक में सेंध लगाई जा सकती है। दुनिया में कोई भी ऐसी तकनीक नहीं है जिसका दुरुपयोग न हुआ हो। जो निजी जानकारी लीक हो गयी उसे बदला नहीं जा सकता। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम किसी कानून को केवल इसी आधार पर खारिज नहीं कर सकते कि इसका दुरुपयोग हो सकता है। उन्होंने दो पहलुओं पर जोर दिया – पहला कानून की संवैधानिकता और दूसरा कोर्ट किस स्तर तक तकनीकी सुरक्षा मानक तय कर सकता है ताकि राज्य या निजी संस्थाएं इसका दुरुपयोग ना कर सकें। मामले पर सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।