विभिन्न बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपये लेकर भारत से फरार उद्योगपति विजय माल्या को पटियाला हाउस कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर दिय है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की मांग पर माल्या को भगोड़ा घोषित किया गया।
प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट में कहा था कि विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) मामले में आरोपी शराब कारोबारी विजय माल्या को अदालत में पेश करने के लिए उन्होंने कई बार कोशिश की लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। इसके बाद मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत की अदालत ने ED से पूछा कि उन्होंने माल्या की पेशी के लिए क्या ठोस कदम उठाए और माल्या तक समन तामील करने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई? इस पर ED ने जवाब दिया कि उन्होंने माल्या के ऑफिस और घर पर नोटिस भेजा और चस्पा भी किया। इसके अलावा अखबारों में भी नोटिस जारी किया गया।
बता दें कि ED के मुताबिक माल्या ने साल 1996, 1997 और 1998 के बीच यूरोपीय देशों में आयोजित फॉर्मूला वन वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान किंगफिशर का ‘लोगो’ लगाने के लिए ब्रिटेन की एक फर्म को कथित तौर पर 2 लाख अमेरिकी डॉलर भुगतान किया था। एजेंसी का कहना है कि यह भुगतान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की अनुमति के बिना किया गया था जोकि ‘फेरा’ के नियमों का उल्लंघन है।
18 दिसंबर को कोर्ट ने विजय माल्या को पेश होने का आखिरी मौका दिया था। ईडी के अनुसार माल्या को चार बार समन जारी किया गया था, लेकिन जब माल्या एक बार भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ 8 मार्च 2000 को कोर्ट में शिकायत की गई थी। इसके बाद आरोप पत्र दायर किया गया।
लंदन में रह रहे माल्या ने नौ सितंबर को कोर्ट में अपने वकील के जरिेए यह बताया था कि वह भारत लौटना चाहते हैं, लेकिन भारत के अधिकारियों द्वारा पासपोर्ट रद करने के कारण वह यात्रा नहीं कर सकते हैं। लेकिन ईडी का कहना था कि विजय माल्या के भारत आने पर कोई रोक नहीं है। इस वक्त माल्या को ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित करने की कोशिश हो रही है और वहां कि वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट कोर्ट में मामला चल रहा है।