FICL DELHI DISCOURSE 2023:द फेडरेशन ऑफ इंडियन कॉरपोरेट लायर्स(एफआईसीएल) ने आज 26 मई को दिल्ली डिस्कोर्स- 2023 इवेंट का आयोजन किया। यह आयोजन दिल्ली के द ताज होटल में हुआ। शुक्रवार को एफआईसीएल द्वारा आयोजित इवेंट की थीम “Navigating India’s legal terrain in the era of Amrit Kaal” था। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर मुख्य अतिथि अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि, एफआईसीएल के फाउंडर और सीईओ डॉ. अशोक शर्मा समेत अन्य गणमान्य अतिथियों ने किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा कि आजादी का यह अमृत काल शांति, विकास और उन्नति का है। यह समय लोकल से वैश्विक बनने का है। उन्होंने इसके साथ ही संविधान में लिखित आजादी और कर्तव्य के बारे में भी बताया। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा कि एडीआर(Alternative dispute resolution) पर भी अच्छे से ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा मेडिएशन, रिकोनशिलिएशन और आर्बिट्रेशन इन सबकी सुनवाई फास्ट ट्रैक से करना चाहिए ताकि यह जल्द प्रभावित हो सके।
बता दें कि एडीआर, विवाद के वैकल्पिक समाधान के अन्तर्गत विवाद समाधान की वे प्रक्रियाएं और तकनीकें आती हैं जो विवाद में उलझे पक्षों को बिना मुकदमे के ही विवाद का समाधान खोजने में सहायता करतीं हैं।
FICL DELHI DISCOURSE 2023:देश की अदालत में 5 करोड़ से अधिक पेंडिंग हैं केस- डॉ ललित भसीन
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसआईएल के प्रेसिंडेट डॉ. ललित भसीन ने कहा, “देश की अदालतों में 5 करोंड़ से अधिक मामले लंबित हैं यानी की उनकी सुनवाई पूरी नहीं हुई है।” उन्होंने कहा कि इससे लाजमी सी बात है कि देश के लोगों को न्याय मिलने में देरी हो रही है। डॉ. ललित ने देश की न्याय की प्रक्रिया में तेजी लाने की बात कही। उन्होंने आर्बिट्रेशन पर भी अपनी बात कही। डॉ. ललित ने कहा कि आर्बिट्रेशन को लेकर खुद पीएम मोदी ने भी पहल की है। उन्होंने कॉरपोरेट वकीलों को लेकर कहा,”विवादों को सुलझाने की कोशिश करना कॉर्पोरेट वकील का काम है। उन्हें इन हाउस समस्याओं का समाधान करना होता है।”
हालांकि, डॉ. ललित ने इस बात पर चिंता जाहिर की कि कुछ लोग समस्याओं को सुलझाने के लिए सिंगापुर भी जाते हैं मतलब कि भारत में वे समाधान नहीं निकाल पाते है। उन्होंने कहा कि इसपर विचार करने की जरूरत है।
कॉरपोरेट वकीलों को लेकर डॉ. ललित ने यह भी कहा,”आप पर अर्थव्यवस्था का विकास निर्भर करता है और मैं उम्मीद करता हूं कि आप इसे करेंगे।” उन्होंने कहा,”आप लोगों(कॉरपोरेट वकील) के पास समस्याओं का समाधान करने और देश व समाज में योगदान देने के लिए बहुत ही शानदार अवसर हैं।”
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने विदेशों के वकीलों को भारत में कार्य को लेकर निमंत्रित किया है। वहीं, इस बात पर डॉ. ललित ने कहा कि यह एक अच्छा निर्णय है और इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जो इस फील्ड के लिए बहुत कुछ सीखाने वाली होगी।
इन विषयों पर हुई चर्चा
सत्र 1-भविष्य के लिए तैयारी: कानूनी विभागों के लिए रुझान और रणनीतियां/’कानूनी उद्योग में परिवर्तन नेविगेट करना: देखने के लिए शीर्ष रुझान’
सत्र 2- कॉर्पोरेट दिवाला- ‘भारत के कॉर्पोरेट दिवाला ढांचे को पुनर्जीवित करना: IBC और NCLT सुधारों की भूमिका।’
सत्र 3- बौद्धिक संपदा -‘सफलता के लिए नवप्रवर्तन: व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए आईपीआर पर ध्यान केंद्रित।’
सत्र 4- पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) – ‘जागरूकता से कार्रवाई तक: ईएसजी निवेश में विविधता और समावेश को प्राथमिकता देना।’
सत्र 5- विवाद समाधान – ‘भारत में विवादों का समाधान: सफलता के लिए रुझान और रणनीतियां’ भाग-1।
सत्र 6- विवाद समाधान – ‘भारत में विवादों का समाधान: सफलता के लिए रुझान और रणनीतियां’ भाग-2।
सत्र 7- क्या विदेशी वकीलों पर बार काउंसिल इंडिया के नए नियम भारतीय कानूनी पेशे के वैश्वीकरण के लिए गेम चेंजर साबित होंगे?
उक्त विषयों पर चर्चा के लिए सेशन के अनुसार कई वक्ता आए थे, जिनमें जज, पूर्व जज, कॉरपोरेट वकील, स्टार्टअप्स फिल्ड के निवेशकर्ता व अन्य थे।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और नई दिल्ली स्थित इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर के मौजूदा चेयरमैन जस्टिस हेमंत गुप्ता ने भी विशेष संबोधन दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह भी कॉपीराइट और पाइरेसी कानून पर अपनी बात रखी। वहीं, इस कार्यक्रम के अन्य प्रतिष्ठित वक्ताओं में पूर्व विधि सचिव पी.के. मल्होत्रा, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के संस्थापक अध्यक्ष न्यायमूर्ति एम.एम. कुमार, सोसाइटीज ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स के अध्यक्ष डॉ. ललित भसीन और सुप्रीम कोर्ट में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल जयंत के. सूद शामिल थे। सिंगापुर के दूसरे कानून मंत्री इडविंग टॉंग ने अपनी बात वीडियो मैसेज के माध्यम से रखी।
कॉरपोरेट वकीलों को मिलेगी मदद- डॉ. अशोक शर्मा
एफआईसीएल के संस्थापक और सीईओ डॉ. अशोक शर्मा ने कहा कि इस आयोजन से कॉर्पोरेट सलाहकारों को संगठन के कानूनी जोखिमों को कम करने के अलावा वर्तमान कानूनी रुझानों, विनियमों और सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी। अमृत काल के युग में भारत के कानूनी क्षेत्र को प्रभावी ढंग से नेविगेट करने के लिए, एक कॉर्पोरेट वकील को उस सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ की गहरी समझ होनी चाहिए जिसमें कानूनी प्रणाली संचालित होती है।
उन्होंने आगे कहा कि इस इवेंट से कॉरपोरेट वकीलों को अमृत काल में होने वाले बदलावों और चुनौतियों से सामना करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही स्टार्टअप्स के लिए यह बहुत ही फायदेमंद साबित होगा।
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