Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने पाइप लाइन और केबल लाइन डालने की वजह से पेड़ों की जड़ों को होने वाले नुकसान पर कड़ी नाराजगी जताई है। आज सुनवाई के दौरान खुदाई स्थल के फोटो को देखने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया पेड़ के तने से कार्य की दूरी एक मीटर से कम है और इस तरह की खुदाई और जड़ों को काटना हाई कोर्ट और NGT (National Green Tribunal) के आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन है।
Delhi High Court की टिप्पणी
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हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ अधिकारियों और एजेंसियों का कठोर स्वभाव है, इसलिए निर्देशों का पालन करने की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। यह अंतरिम रूप से पेड़ों को नुकसान पहुंचाता है जो कि पर्यावरण की क्षति है। हाई कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों के द्वारा कार्य के लिए बनाए गए नियम और आदेशों की अवहेलना के कारण पर्यावरण की रक्षा के लिए लगाए गए पेडों को नष्ट नहीं किया जा सकता।
Delhi High Court ने कहा NGT के निर्देशों का करना होगा सख्त पालन
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कोर्ट ने कहा कि इस अदालत ने अपने कई आदेशों में दिल्ली में सरकारी विभागों और एजेंसियों को NGT के निर्देशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कार्रवाही भी की जा सकती है। दरअसल दिल्ली में बिपिन चंद्र पाल मार्ग और चितरंजन पार्क के आसपास इलाकों में केबल और पाइप लाइन डालने के दौरान पेड़ों की जड़ों को नुकसान पहुंचाने को लेकर दाखिल याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है।
बता दें कि विकास योजनाओं के नाम पर भारत में पिछले चार सालों में 95 लाख पेड़ों को काट दिया गया है। यह आंकड़ा सरकार ने 16 दिसंबर 2019 में पेश किया था। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 2019 में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार 2015-2016 से 2018-2019 तक देश में 94,98,516 पेड़ काट दिए गए। सबसे ज्यादा पेड़ काटने वाले राज्यों में तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ , आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा शामिल हैं।
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