Bombay High Court की जज न्यायमूर्ति Pushpa Ganediwala जिन्होंने कहा था कि किसी नाबालिग के ब्रेस्ट को ‘स्किन टू स्किन’ कॉन्टैक्ट के बिना छूना POCSO एक्ट के तहत यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि बाल यौन शोषण पर दिए उनके फैसले के चलते वो विवादों में घिर गई थींं और कई महिलाओं और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने उनके फैसले की आलोचना की थी।
गुरुवार को न्यायमूर्ति Pushpa Ganediwala ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंप दिया है। जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण और बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता को भी चिह्नित किया गया।
Ganediwala को परमानेंट जज ना बनाने का लिया गया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 16 दिसंबर को फैसला लिया था कि बॉम्बे हाई कोर्ट की अस्थायी जज जस्टिस Pushpa Ganediwala स्थायी जज नहीं बन सकेंगी। कॉलेजियम ने उनका प्रोबेशन पीरियड ना बढ़ाने और ना ही उनको परमानेंट जज बनाने का फैसला लिया था।
बता दें कि Pushpa Ganediwala को प्रोन्नति के बाद निचली अदालत से बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच में अस्थायी जज के रूप में नियुक्त किया गया था। जस्टिस गनेडीवाला के पॉक्सो वाले फैसले को लेकर AG ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी। जिसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस विवादास्पद फैसले को रद्द कर दिया था।
Pushpa Ganediwala ने क्या कहा था?
Pushpa V Ganediwala ने अपने एक फैसले में 19 जनवरी 2021 को कहा था कि किसी नाबालिग के ब्रेस्ट को ‘स्किन टू स्किन’ कॉन्टैक्ट के बिना छूना POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया था साथ ही इसे गलत भी बताया था।
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