Anand Mohan Released:पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह को पूरे 16 वर्ष बाद जेल से रिहाई मिली है।गुरुवार की सुबह जेल से रिहाई की सभी औचारिकताएं पूरी करने के बाद सुबह 4.30 बजे वह जेल से बाहर आया। मालूम हो कि गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।इसी बीच आनंद मोहन की रिहाई की खबर से बिहार सरकार की चौतरफा आलोचना भी हो रही है।
इस बीच नीतीश सरकार के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दाखिल की गई है। बिहार सरकार की अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई है।

Anand Mohan Released:बिहार की सियासत गरमाई
Anand Mohan Released:बिहार की सियासत आनंद मोहन की रिहाई के बाद से गर्मा गई है। पटना हाईकोर्ट में नीतिश सरकार के फैसले के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की गई है।जानकारी के अनुसार अमर ज्योति की तरफ से दायर याचिका में बिहार सरकार की जेल मैनुअल में बदलाव के आदेश को निरस्त करने की मांग उठाई गई है।
याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि मैनुअल 2012 के नियम 481(i) (क) में संशोधन कर “ड्यूटी पर तैनात लोक सेवक की हत्या” वाक्य हटाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई है। याचिका में यह भी कहा गया कि ऐसे सरकारी फैसलों से सरकारी सेवकों का मनोबल गिरेगा।
Anand Mohan Released:गलत आयु का जिक्र
Anand Mohan Released:दरअसल आनंद मोहन की आयु को लेकर भी गलत जानकारी मिली है। साल 2004 में आनंद मोहन ने अपने चुनावी एफिडेविट में उम्र 44 वर्ष बताई थी, जबकि उसके अनुसार आनंद मोहन की उम्र 64 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। रिहाई के सरकारी आदेश में आनंद मोहन की उम्र 75 वर्ष बताई गई है। ध्यान योग्य है कि सीएम नीतीश और लालू दोनों से अधिक उम्र आनंद मोहन की बताई गई है।इसके साथ ही उस पर जेल में मोबाइल रखने, पेशी के दौरान घर जाने का भी आरोप है।
Anand Mohan Released:जानिए आखिर किस नियम के तहत मिली रिहाई?

Anand Mohan Released:आनंद मोहन समेत करीब 27 बंदियों को बिहार सरकार कारागर अधिनियम में बदलाव करके जेल से रिहा करवाया है।बिहार सरकार ने कारा हस्तक 2012 के नियम 481 आई में संशोधन किया है। क्योंकि 14 वर्ष की सजा काट चुके आनंद मोहन की पूर्व तय नियमों के अनुसार रिहाई संभव नहीं थी। ऐसे में ड्यूटी के दौरान सरकारी सेवक की हत्या अब अपवाद की श्रेणी से हटा दिया गया है। बीते 10 अप्रैल को ही बदलाव की अधिसूचना सरकार ने जारी कर दी गई थी।
Anand Mohan Released:रिहाई से IAS एसोसिएशन में रोष
इस मामले में IAS एसोसिएशन ने ट्वीट कर कहा, आनंद मोहन ने आईएएस जी. कृष्णैया की नृशंस हत्या की थी। ऐसे में यह दुखद है, बिहार सरकार को जल्द से जल्द इस फैसला वापस लेना चाहिए।
ऐसा नहीं होता है, तो ये न्याय से वंचित करने के समान है। इस तरह के फैसलों से लोग सेवकों के मनोबल में गिरावट आती है। हम राज्य सरकार से अपील करते हैं कि बिहार सरकार जल्द से जल्द इस पर पुनर्विचार करे।
जानिए क्या है पूरा मामला?
साल 1994 को गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या में आनंद मोहन का नाम सामने आया था। इस मामले में 2007 में कोर्ट ने आनंद मोहन को सजाए मौत की सजा सुनाई थी।हालांकि, बाद में यह सजा आजीवन कारावास में बदल गई थी। आनंद मोहन को न तो हाईकोर्ट से राहत मिली और न ही सुप्रीम कोर्ट से। बीते 15 सालों तक सजा काटने के बाद आनंद मोहन अब नीतीश सरकार के एक फैसले से रिहा हो गया। जिसके बाद सियासत तेज हो गई है।
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