इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की जिला अदालतों से कहा है कि किसी भी आदेश को इस तरह से लिखा जाए कि वह स्पष्ट रूप से पढ़ा जा सके। जस्टिस राजेश सिंह चौहान की खंडपीठ ने सविता यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
याचिकाकर्ता के वकील ने हाईकोर्ट से कहा कि याचिकाकर्ता मामले में अपराध की शिकायतकर्ता होने के कारण बहुत पीड़ित रही है। याचिकाकर्ता के सहयोग के बाद भी सुनवाई ठीक से नहीं चल रही है। चूंकि निजी-प्रतिवादी मुकदमे की सुनवाई से बच रहे थे, इसलिए, उनके खिलाफ वारंट जारी किए गए और उन्होंने 30 अप्रैल, 2019 को निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
कुछ आदेशों को बहुत खराब लिखावट में लिखा गया है- कोर्ट
वकील ने अनुरोध किया है कि आपराधिक मामले के जल्दी निपटारे के लिए निचली अदालत को आदेश जारी किया जाए। कोर्ट ने कहा, “मैंने आदेश-पत्र की कॉपी देखी है, जिसे याचिका के साथ संलग्न किया गया है, और मैंने पाया कि कुछ आदेशों को बहुत खराब लिखावट में लिखा गया है। ”
जज ने कहा, “चूंकि निचली अदालतों के आदेशों की टाइप की गई कॉपी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की जाती है, इसलिए, वह आदेश पढ़ने लायक होना चाहिए। इसे सही ढंग से टाइप किया हुआ होना चाहिए।’
गलती करने वाले अधिकारी पर कार्रवाई
अदालत ने कहा, “यदि आदेश को आदेश-पत्र में इस तरह से लिखा गया है जिसे पढ़ा नहीं जा सकता है, तो गलती करने वाले अधिकारी पर कार्रवाई की जानी चाहिए और उसके बाद उसे कानून के अनुसार विभागीय रूप से दंडित किया जा सकता है।”
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