Allahabad HC:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा (विकलांग, स्वतंत्रता सेनानी आश्रित व पूर्व सैनिक आरक्षण) कानून की धारा 2(सी) को वैध करार देते हुए कहा, कि ये संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन नहीं करती। कहा कि ग्राम विकास अधिकारी भर्ती 2016 में पूर्व सैनिक आरक्षण कोटे के लिए निर्धारित योग्यता मानक सेवा योग्यता होगी। पुलिस भर्ती और इसमें साम्यता नहीं है।नेवी से ली गई अनापत्ति स्थाई नहीं थी, इसलिए याचियों को पूर्व सैनिक नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने याचियों को पूर्व सैनिक कोटे में आरक्षण के आधार पर नियुक्ति को शून्य माना और सेवा बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है।

Allahabad HC: 2018 को हुआ था चयन
ये आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति विकास बधवार की खंडपीठ ने बदायूं के सुधीर सिंह, वीरेंद्र कुमार व सुनील कुमार सिंह की याचिका पर दिया है।याचिका के अनुसार उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने वर्ष 2016 में 3,133 ग्राम विकास अधिकारियों की भर्ती निकाली थी। इसमें 18 जुलाई 18 को याचीगण चयनित हुए। पूर्व सैनिक कोटे में चयनित 70 लोगों को 15 दिन के प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। 19 मार्च 19 को प्रशिक्षण पूरा हुआ और बदायूं, कासगंज, शाहजहांपुर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, लखीमपुर खीरी, में नियुक्ति आदेश जारी किया गया।
जिला विकास अधिकारी ने 19 फरवरी 20 को कारण बताओ नोटिस जारी कर 70 अभ्यर्थियों की नियुक्ति योग्यता न होने पर रोक दी। इस दौरान पूछा गया कि क्यों न नियुक्ति अवैध मानी जाए ? क्योंकि वे आवेदन देते समय नेवी में कार्यरत थे। उन्हें पूर्व सैनिक नहीं माना जा सकता, उनके पास सीसीसी एवं अन्य प्रमाणपत्र भी नहीं थे। ऐसे में 28 अप्रैल 20 और 5 मई 20 को नियुक्ति रद्द कर दी गई। याचियों ने कानून की धारा 2(सी) की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए कहा कि उनकी नियुक्ति विधि प्रक्रिया के तहत चयनित होने पर की गई है।
दाखिले के तीसरे दिन सुनवाई व्यवस्था लागू करने की मुख्य न्यायाधीश से मांग
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष अतुल कुमार पाण्डेय ने हाईकोर्ट प्रशासन और बार पदाधिकारियों पर आम अधिवक्ताओं के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। मुख्य न्यायाधीश से मांग करते हुए कहा कि मुकदमों की सुनवाई में देरी की समस्या का समाधान निकाला जाए। मांग उठाई की हजारों की संख्या में दाखिल नई याचिकाओं और जमानत अर्जियों की तीसरे दिन की सुनवाई व्यवस्था बहाल की जाए।
अतुल पांडेय का कहना है कि कोरोना काल में युवा वकीलों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सरकार या बार एसोसिएशन ने आर्थिक संकट में कोई मदद नहीं की। फलस्वरूप तमाम वकीलों को मजबूरन घर वापस जाना पड़ा। ऑनलाइन सुनवाई और लिंक का न मिलना युवा अधिवक्ताओं के लिए मुसीबत खड़ी करने वाला रहा।उन्होंने ने फोटो आइडेंटीफिकेशन सेंटर खोलने में अनावश्यक देरी करने पर बार पदाधिकारियों की आलोचना की। न्यायालय को वादकारियों के हित में पूरी तरह से खोलने की मांग की गई।

Allahabad HC: आनंद गिरी की जमानत अर्जी की सुनवाई टली
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत मामले में आरोपी शिष्य आनंद गिरी उर्फ अशोक कुमार चोटिया की जमानत अर्जी की सुनवाई मंगलवार को कोर्ट में नहीं हो सकी।याची अधिवक्ता ने ही सुनवाई टालने की प्रार्थना की। जिसे स्वीकार करते हुए अर्जी की सुनवाई कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने 15 मार्च की तिथि तय की है।
शिष्य आनंद गिरी पर महंत नरेंद्र गिरी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप है। आरोप मृतक के सुसाइड नोट में लगाया गया है। पुलिस ने गिरी सहित दो अन्य आरोपियों को गिरफतार कर जेल भेज दिया है। सत्र अदालत प्रयागराज से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है।
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