Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर के कैंट थाने में रणविजय सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इंकार कर दिया है। कहा कि प्राथमिकी से प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का खुलासा होता है। ऐसे में भजनलाल एवं अन्य केस में दिये गये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत हस्तक्षेप का आधार नहीं बनता।
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Allahabad HC: याचिका खारिज करने पर जोर
कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। ये आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने रणविजय सिंह की याचिका पर दिया है।याची का कहना था कि उसके खिलाफ कोई अपराध का खुलासा नहीं होता। ऐसे में एफआईआर रद्द की जाए। वहीं दूसरी तरफ सरकारी वकील का कहना था कि संज्ञेय अपराध का खुलासा हो रहा है। याचिका को खारिज किया जाए।
कोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए कहा कि याची चाहे तो अदालत में नियमानुसार अग्रिम जमानत या नियमित जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है।
Allahabad HC: क्या है पूरा मामला ?
गोरखपुर के रामगढ़ताल थाना क्षेत्र के कजाकपुर के रहने वाले दीपक यादव ने कैंट थाने में अभियोजन अधिकारियों के खिलाफ तहरीर दी थी। दीपक ने ही एक साथी के साथ यह स्टिंग किया था। अविरल सिंह नामक व्यक्ति ने घूसखोरी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया था। प्रभारी संयुक्त निदेशक अभियोजन अशोक वर्मा और ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी रणविजय सिंह पर कैंट पुलिस ने घूस लेने के मामले में मंगलवार को भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 की धारा 3/7 के तहत केस दर्ज किया है। दोनों अधिकारियों पर बदमाशों की गैंगेस्टर की फाइल पर आपत्ति लगाने के बदले घूस लेने का आरोप है। पीड़ित की तरफ से घूस लेने का एक वीडियो भी पेश किया गया।
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