देश के सबसे बड़े मर्डर केसों में से एक आरुषि हत्याकांड में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपति को बरी कर दिया। उम्रकैद की सजा काट रहे राजेश और नुपूर तलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इससे पहले 25 नवंबर 2013 को गाजियाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट ने हालात से जुड़े सबूतों के आधार पर दोनों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। तलवार दंपति ने 2014 में इस सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया।
इस केस की शुरूआत 9 साल पहले 16 मई 2008 को आरुषि हत्याकांड से हुई थी। आरुषि तलवार दंपति की बेटी थी। तलवार दंपति चिकित्सक थे। उनका एक बहुत बड़ा अस्पताल था। इस केस में सीबीआई ने कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया था जिसमें तलवार दंपित का नौकर हेमराज था, डॉ राजेश तलवार का कम्पाउंडर कृष्णा था, तलवार के दोस्त दुर्रानी के नौकर राजकुमार, और तलवार के पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को भी आरोपी बनाया गया था। बाद में पुलिस को हेमराज की लाश भी तलवार दंपति के बिल्डिंग के छत पर मिली। ऐसे में मामला और उलझ गया। हालांकि सबूतों के अभाव के कारण कम्पाउंडर कृष्णा, तलवार के दोस्त दुर्रानी के नौकर राजकुमार, और तलवार के पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को जमानत मिल गई। लेकिन शक की सूई तलवार दंपित पर बनी रही।
#ArushiVerdict:मीडिया ट्रायल और मायावती की नई सरकार के दबाव के कारण पुलिस ने भी जल्दबाजी दिखाई,जिसके कारण जांच में गड़बड़ी हुई:@RajShriAPN pic.twitter.com/qcnwlss6oQ
— APN NEWS (@apnnewsindia) October 12, 2017
जांच के शुरूआती दौर में इसमें पुलिस की बड़ी लापरवाही देखी गई थी। पुलिस जांच की असफलता के बाद सरकार ने इस केस को सीबीआई को सौंप दिया। लेकिन सीबीआई की पहली टीम भी इस केस को पूर्ण रूप से सुलझाने में नाकाम रही। ऐसे में इस केस के लिए दूसरी सीबीआई टीम गठित की गई। सीबीआई ने अपने जांच में तलवार दंपति को दोषी माना। इसके बाद गाजियाबाद के विशेष सीबीआई कोर्ट में तलवार दंपति पर केस चालू हुआ। 11 जून 2012 को गाजियाबाद की विशेष सीबीआई जज एस लाल के सामने ट्राइल शुरू हुआ। 10 अक्तूबर को कोर्ट में फाइनल बहस हुआ। यह फाइनल बहस 25 नवंबर तक खींचा जिसके बाद गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने तलवा दंपति को दोषी पाया और उनको आजीवन कारावास की सजा सुना दी। तब से लेकर आज तक तलवार दंपति जेल में अपनी सजा भुगत रहे थे।
#ArushiVerdict:इस हत्याकांड के दौरान जैसी रिपोर्टिंग हुई,उससे बुरी रिपोर्टिंग मीडिया के इतिहास में कभी नहीं हुई:@RajShriAPN,एडिटर-इन-चीफ APN pic.twitter.com/dzySiyJEXw
— APN NEWS (@apnnewsindia) October 12, 2017
हालांकि तलवार दंपति ने लोअर कोर्ट के फैसले को जनवरी 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया और परिणाम स्वरूप तीन सालों बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई द्वारा जुटाए गए सबूतों को नाकाफी बताया और तलवार दंपति को बरी कर दिया।