भारतीय सेना ने टाइगर हिल के नायक और सब मेजर Yogendra Singh Yadav को उनकी सेवानिवृत्ति पर विदाई दी है। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान उनको 17 बुलेट लगी थी और उन्होंने टाइगर हिल पर कब्जा करने में बहुत ही अहम भूमिका निभाई थी।
Kargil की लड़ाई में उनके महत्वपूर्ण योगदान के चलते Yogendra Singh Yadav को भारत के सर्वोच्च गैलंट्री अवॉर्ड Param Vir Chakra से सम्मानित किया गया था। मां भारती के वीर सपूत को जब परमवीर चक्र मिला था तब उनकी उम्र मात्र 19 साल थी और यह अवार्ड पाने वाले वो सबसे कम उम्र के जवान बने थे।
Yogendra Singh Yadav के पिता भी आर्मी में थे
योगेंद्र सिंह यादव का जन्म 10 मई 1980 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के औरंगाबाद अहीर गांव में हुआ था। उनके पिता भी एक आर्मी ऑफिसर थे और उन्होंने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया था। उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई अपने गांव के सरकारी स्कूल से की थी और जब वो कक्षा 12वीं की पढ़ाई कर रहे थे तब उन्होंने पहले ही प्रयास में सेना की परीक्षा पास कर ली थी।
टाइगर हिल पर कब्जा करना बहुत ही जरूरी था
1999 में भारत और पाकिस्तान का कारगिल का युद्ध चल रहा था और युद्ध में जीत के लिए टाइगर हिल पर कब्जा करना बहुत ही जरूरी था। योगेंद्र सिंह ने 2 जुलाई की रात को टाइगर हिल में चढ़ना शुरू किया। वो रात में चढ़ते थे और दिन में पत्थरों के पीछे छिछ जाते थे। 4 जुलाई को शीर्ष पर पहुंचने पर उन्होंने पाकिस्तान के पहले बंकर पर एक ग्रेनेड फेंका, जिसमें चार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और पाकिस्तान की गोलाबारी को बेअसर कर दिया।
यादव को 17 गोलियां लगी थीं
योगेंद्र सिंह यादव की बहादुरी के चलते पलटन को दो जवानों को बंकर पर चढ़ने का मौका मिल गया और इसके बाद दोनों ओर से गोलीबारी चालू हो गई जिसमें चार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। योगेंद्र सिंह के साहस के चलते भारतीय सेना टाइगर हिल पर कब्जा करने में सफल रही और कारगिल के युद्ध में फतह पाई। इसमें यादव को 17 गोलियां लगी थीं।
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