Year Ender 2021: इस साल को खत्म होने में महज 11 दिन का और समय है। आने वाले वक्त में नया साल सभी का इंतजार कर रहा है। लोग इसकी तैयारियां भी करने में जुट गए हैं। ये साल कई बातों के लिए याद रखा जाएगा। चाहे बात कोरोना की दूसरी लहर की करें या फिर ऐतिहासिक किसान आंदोलन की। साल 2021 दुनिया को कई अच्छी बुरी यादों को देकर जाने वाला है। इसके साथ ही यादों की चर्ची भी हो रही है। साल 2021 उनके लिए सबसे बुरा रहा जिन्होंने दूसरी लहर (Corona Second Wave) में अपनो को खो दिया। कोरोनी की दूसरी लहर की तस्वीर श्मशान घाट वाली काफी डराने वाली थी। हालात इतने बुरे थे कि श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बची थी।
देश कोरोना की पहली लहर से धीरे – धीरे उबर रहा था। लॉकडाउन की बर्बादी की भरपाई करने के लिए हर इंसान जी तोड़ मेहनत में लगा हुआ था। इस मंजर को गए अभी साल भर नहीं हुआ था कि फिर कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में दस्तक दे दी।

दूसरी लहर ने मार्च माह में भारत में दस्तक दी थी। शुरुआत में मामला गंभीर नहीं था पर समय के साथ अचानक मामलों मे तेजी आने लगी थी।

अप्रैल आते आते संक्रमितों का आंकड़ा 1.33 करोड़ के आस पास पहुंच चुका था। मंजर यह था कि कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों में जगह नहीं बची थी।

अस्पताल में मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा था। ऑक्सीजन की किल्लत पहले से ही थी। कोरोना की कोई दवाई उस वक्त भी उपलब्ध नहीं थी और आज भी नहीं है।

हालात ऐसे बन गए कि कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़ने लगी। रिपोर्ट्स कहती हैं कि हर दिन 4 हजार लोगों की मौत होती थी। इसमें उन लोगों का नाम शामिल नहीं है जिनकी मौत सड़क पर और घर के भीतर हुई थी।
मरीजों की संख्या बढ़ने लगी तो, मृतकों का आंकड़ा भी बढ़ने लगा। श्मशान में लाशों को जलाने के लिए जगह कम पड़ गई थी। लोग अपनों का अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान घाट के बाहर लाइन लगा कर खड़े रहते थे।

श्मशान घाट में लोगों का दाह संस्कार करने के लिए लकड़ियां कम पड़ गईं थी। कुछ खबरें ऐसी भी सामने आईं थी कि एक साथ दो लाशों का जलाया जाता था।

इन दर्दनाक तस्वीरों को देखने के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो मंजर कितना भयानक रहा होगा जब लोग अपने प्रिय जनों को दफनाने के लिए जगह की तलाश कर रहे थे।

श्मशान घाट से आने वाली तस्वीरों को देख कर रूह कांप जाती थी। दूसरी लहर में शिकार हुए लोग अपनी मजबूरी किसी से बता नहीं पा रहे थे। पर तस्वीरें सब कुछ बयां कर रही थीं।

हालात इतने बुरे हो चुके थे कि पार्क, बगीचों और अन्य जगहों को श्मशान घाट में बदला जा रहा था। नीचे की यह तस्वीर सराय काले खां की है। दूसरी लहर में पार्क की जगह पर श्मशान घाट बनाया जा रहा था। ताकि कोरोना से होने वाली मृतकों को दाह संस्कार के लिए जगह मिले।

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