World Air Quality Report: यूएन एनवायरमेंट प्रोटक्शन एजेंसी ने दुनिया भर की एयर क्वालिटी रैंकिंग जारी की है। जिसमें देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) को दुनिया की कैपिटल सिटी के रूप में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर बताया गया है। तैयार की गई विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट (World Air Quality Report) इस बात की तस्दीक करती है, कि दिल्ली अब दुनिया का सबसे प्रदूषित हवा वाला शहर बन गया है। विश्व के शीर्ष 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 भारत में हैं।रिपोर्ट को तैयार करने के लिये 106 देशों से PM2.5 डाटा एकत्र किया।
जिस आधार पर डाटा तैयार किया गया वो पीएम 2.5 पर आधारित है। जोकि 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास का एक वायुमंडलीय कण होता है, जोकि इंसान के बाल के व्यास का लगभग 3 प्रतिशत होता है। यही श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है, हमारे देखने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। शुगर की वजह भी यही होता है। ये कण खतरनाक होने के साथ ही इतना छोटा होता है, कि इसे इलेक्ट्रॉन को माइक्रोस्कोप की मदद से ही देखा जा सकता है। इस कण की अधिकता निर्माण स्थल, कच्ची सड़कें, खेत आदि में खूब होती है। अधिकांश कण वातावरण में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे रसायनों की जटिल प्रतिक्रियाओं के परिणामस्वरूप बनते हैं, जो बिजली संयंत्रों, उद्योगों और ऑटोमोबाइल से निकलने वाले प्रदूषक हैं।
World Air Quality Report: राजधानियों की रैंकिंग में दिल्ली अव्वल
दिल्ली को विश्व का सबसे प्रदूषित राजधानी शहर के रूप में स्थान दिया गया है। इसके बाद क्रमशः ढाका (बांग्लादेश), चाड का एंडियाना, उलानबटार, (मंगोलिया), काबुल (अफगानिस्तान) और दोहा (कतर) का स्थान है। जबकि सबसे कम प्रदूषित देश प्यूर्टो रिको है, उसके बाद क्रमशः न्यू कैलेडोनिया और अमेरिकी वर्जिन आइलैंड आता है।चीन का होटन (Hotan) शहर विश्व का सबसे प्रदूषित (110.2 µg/m³) शहर है, उसके बाद उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद जिला (106 µg/m³) है।
World Air Quality Report: वायु गुणवत्ता में 15 फीसदी की बढ़ोतरी
दिल्ली की वायु गुणवत्ता में वर्ष 2019-2020 के दौरान लगभग 15% की वृद्धि हुई है।दिल्ली को 10वें सबसे प्रदूषित शहर और विश्व के शीर्ष प्रदूषित राजधानी शहर के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। गाजियाबाद विश्व का दूसरा और भारत का पहला सबसे प्रदूषित शहर है, इसके बाद बुलंदशहर, बिसरख जलालपुर, भिवाड़ी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कानपुर और लखनऊ का स्थान है। वर्ष 2020 के अधिकांश दिनों में उत्तर भारतीय शहरों की तुलना में दक्कन के शहरों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की दैनिक सीमा 25 µg/m3 से अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता दर्ज की गई है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण
दिल्ली-एनसीआर और गंगा के मैदानों में वायु प्रदूषण एक जटिल घटना है जो कई कारकों पर निर्भर है। उच्च गति वाली हवाएं प्रदूषकों को हटाने में बहुत प्रभावी होती हैं, लेकिन सर्दियों में गर्मियों की तुलना में हवा की गति में गिरावट आ जाती है। इससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। दिल्ली चारों तरफ से भू-भाग से घिरा है और इसे देश के पूर्वी, पश्चिमी या दक्षिणी हिस्से के खुले मौसम का लाभ नहीं मिल पाता है।
रही सही कसर पराली दहन पूरी कर देती है। पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में जलने वाले कृषि अपशिष्ट को सर्दियों के दौरान दिल्ली में धुंध का एक प्रमुख कारण माना जाता है। इससे वायुमंडल में बड़ी मात्रा में ज़हरीले प्रदूषकों का उत्सर्जन होता है, जिनमें मीथेन (CH4), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC) और कार्सिनोजेनिक पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसी हानिकारक गैसें शामिल हैं।
खाड़ी देशों से आने वाले धूल के तूफान यहां की खराब स्थिति को और बढ़ा देते हैं। बारिश के दिनों में विशेषकर अक्तूबर और जून के बीच नहीं दिखने वाला धूल का प्रकोप शुष्क ठंडे मौसम में प्रभावी हो जाता है।धूल प्रदूषण, PM10 और PM2.5 कणों के लिये लगभग 56% तक ज़िम्मेदार है।
तापमान में गिरावट भी प्रदूषण के बढ़ते स्तर का एक प्रमुख कारक है। जैसे ही तापमान बढ़ता है, प्रतिलोम ऊँचाई (वह परत जिसके ऊपर प्रदूषक वायुमंडल में फैल नहीं सकते) कम हो जाती है और ऐसा होने पर हवा में प्रदूषकों की सांद्रता बढ़ जाती है।दिल्ली-एनसीआर में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य हवा में धूल और प्रदूषण बढ़ने का एक अन्य प्रमुख कारण है। दिल्ली में कचरे के लैंडफिल साइटों में कचरे को जलाना भी वायु प्रदूषण को बढ़ता है।
इन कदमों के जरिये हम वायु प्रदूषण का स्तर कम कर सकते हैं
टर्बो हैप्पी सीडर यह ट्रैक्टर के साथ लगाई जाने वाली एक प्रकार की मशीन होती है जो फसल के अवशेषों को उनकी जड़ समेत उखाड़ फेंकती है। खरीदने के लिये किसानों को सब्सिडी दी गई। वाहनों से होने वाले प्रदूषण कम करने के लिये BS-VI वाहनों की शुरुआत करना, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा, एक आपातकालीन उपाय के रूप में ऑड-ईवन का प्रयोग, पूर्वी एवं पश्चिमी परिधीय एक्सप्रेस-वे का निर्माण आदि।
राजधानी में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिये ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (Graded Response Action Plan) का कार्यान्वयन। इसमें थर्मल पावर प्लांट बंद करने और निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने जैसे उपाय शामिल हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) के तत्वावधान में सार्वजनिक सूचना के लिये राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (NAQI) का विकास। इस सूचकांक के अंतर्गत 8 वायु प्रदूषकों (PM2.5, PM10, अमोनिया, लेड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओज़ोन और कार्बन मोनोऑक्साइड) को शामिल किया गया है।
बेहतर इच्छाशक्ति के साथ अधिक से अधिक पौधे रोपें। भूजल संरक्षित करें। सक्रिय नागरिकों की तुलना में कोई बेहतर प्रहरी नहीं हो सकता है, इसलिये प्रदूषण के लक्ष्य को हर साल सार्वजनिक किया जाना चाहिये ताकि वर्ष के अंत में इसका मूल्यांकन किया जा सके।स्वच्छ हवा में सांस लेना हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है। इसलिए मानव स्वास्थ्य के लिये वायु प्रदूषण से निपटने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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