देश में इस समय दो राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार जोर-शोर से जारी है. लेकिन इन चुनावों में अगर कोई मुद्दा जो सबसे ज्यादा उठाया जा रहा है वो है पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme). गुजरात हो या फिर हिमाचल प्रदेश, हर तरफ चुनाव में पार्टियां अपनी चुनावी वादों में पुरानी पेंशन की बहाली पर का वायदा कर रही हैं.
पुरानी पेंशन और राजनीति
इस समय देशभर में पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए एनएमओपीएस (The National Movement For Old Pension Scheme -NMOPS) के जरिए राष्ट्रीय आंदोलन चलाया जा रहा है. राज्यों में पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग जारी है.
राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को लागू भी कर दिया गया है. इन राज्यों में चुनाव से पहले पुरानी पेंशन को लेकर वायदा किया गया था और अब इसे लागू भी किया गया. अब दूसरे राज्यों में भी इस पर चुनावी रंग चढ़ा हुआ है.
क्यों उठाया जा रहा है ये मुद्दा?
सरकारी कर्मचारियों की संख्या देश में बहुत ज्यादा है, इस समय केंद्र सरकार से ही 50 लाख से ज्यादा कर्मचारी पेंशन ले रहे हैं. जो की बहुत बड़ा वोटर वर्ग है. इन्ही मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियां पुरानी पेंशन का मुद्दा उठाये हुए हैं. चुनावों में पुरानी पेंशन को दोबारा लागू करने का वादा किसी के भी पक्ष में माहौल बना सकता है. यही वजह है कि पुरानी पेंशन बहाली को लेकर चर्चा काफी जोरों पर है.
पुरानी पेंशन योजना को 1 अप्रैल 2004 को बंद कर दिया गया था और इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme) से बदल दिया गया था.
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क्या है NPS -NPS?
केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 2004 में नई पेंशन योजना (New Pension system) लागू किया था. योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों के अलग से खाते खुलवाए गए और फंड के निवेश के लिए फंड मैनेजर भी नियुक्त किए गए.
नई पेंशन योजना में अगर पेंशन फंड के निवेश का रिटर्न अच्छा रहा तो भविष्य निधि (Provident Fund) और पेंशन की पुरानी स्कीम की तुलना में नए कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय भविष्य में अच्छी धनराशि भी मिल सकती है. लेकिन इसको लेकर कर्मचारियों के बीच संशय है ओर उनका कहना है कि पेंशन फंड के निवेश का रिटर्न बेहतर ही होगा, यह कैसे संभव है. इसलिए वे पुरानी पेंशन योजना (Old Pension scheme) को लागू करने की मांग कर रहे हैं.
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क्या है पुरानी और नई पेंशन योजना में अंतर
पुरानी पेंशन योजना | नई पेंशन योजना |
पुरानी पेंशन एक सुरक्षित योजना है. इसका भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है. | नई पेंशन योजना शेयर बाजार आधारित है, बाजार की चाल के आधार पर ही भुगतान होता है. |
ओल्ड पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती. | NPS में कर्मचारी के वेतन से 10 फीसदी (बेसिक + महंगाई भत्ता) की कटौती होती है. |
पुरानी पेंशन योजना में GPF (General Provident Fund) की सुविधा है. | NPS में जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) की सुविधा को नहीं जोड़ा गया है. |
पुरानी पेंशन में रिटायरमेंट के समय अंतिम बेसिक सैलरी का 50 फीसदी पेंशन मिलती है. | नई पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है |
पुरानी पेंशन योजना में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) लागू होता है. | नई पेंशन योजना में केंद्र सरकार हर 6 महीने में बदलाव के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू नहीं होता है. |
पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपए तक ग्रेच्युटी मिलती है. | नई पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी का अस्थाई प्रावधान है. |
पुरानी पेंशन योजना में सर्विस के दौरान मौत होने पर परिवार को पेंशन का प्रावधान है. | नई पेंशन योजना में सेवाकाल के दौरान मौत होने पर परिवार को पेंशन मिलती है, लेकिन योजना में जमा पैसे सरकार जब्त कर लेती है. |
पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट पर GPF के ब्याज पर किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं लगता है. | नई पेंशन योजना में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के आधार पर जो पैसा मिलेगा, उस पर सरकार को टैक्स देना पड़ता है. |
OPS में रिटायरमेंट के समय पेंशन प्राप्ति के लिए GPF से कोई निवेश नहीं करना पड़ता है. | NPS में रिटायरमेंट पर पेंशन प्राप्ति के लिए NPS फंड से 40 फीसदी पैसे को निवेश करना होता है. |
OPS में 40 फीसदी पेंशन कम्यूटेशन का प्रावधान है. | NPS में इस तरह का कोई भी प्रावधान नहीं है. |
मेडिकल की सुविधा है. | NPS में स्पष्ट प्रावधान नहीं है. |
पुरानी पेंशन चाहिए लेकिन क्यों?
देश में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme -OPS) को दिसंबर 2003 में केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने समाप्त कर दिया था. पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme-NPS) लागू की गई. एनपीएस 1 अप्रैल, 2004 से प्रभावी है.
केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा अपने कर्मचारियों को दी जाने वाली पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाले आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन होती थी. इस पूरी राशि का भुगतान सरकारें करती थी. वहीं, नई पेंशन योजना उन कर्मचारियों के लिए है, जो 1 अप्रैल 2004 के बाद से सरकारी नौकरी में आए हैं.
इसके तहत हरेक कर्मचारी अपनी सैलरी का हर महीने 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए योगदान करते हैं. इसके अलावा राज्य सरकार 14 फीसदी योगदान देती है. पेंशन फंड के लिए काटा गया पूरा पैसा पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (Pension Fund Regulatory and Development Authority- PFRDA) के पास जमा होता है, जो इसे बाजार ओर अन्य जगहों पर निवेश करता है.
नई पेंशन स्कीम में कम फायदे
विशेषज्ञों के अनुसार नई पेंशन योजना में पुरानी स्कीम के मुकाबले कर्मचारियों को बहुत कम फायदे मिलते हैं जिसके चलते उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है. इसके अलावा सेवानिवृत्त होने के बाद जो पैसा मिलता है, उस पर टैक्स देना पड़ेगा.
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