ठनका गिरने से हर साल होती है 2500 मौतें, फिर भी इसे प्राकृतिक आपदा क्यों नहीं मानती सरकार?

0
59
Lightning Strikes
Lightning Strikes

Lightning Strikes: कई राज्यों ने केंद्र से बिजली गिरने को प्राकृतिक आपदा घोषित करने का अनुरोध किया है। राज्यों ने ये मांग इस लिए भी की है कि देश में बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या अन्य प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली मौतों की संख्या से कहीं अधिक है। वज्रपात को प्राकृतिक आपदा घोषित कर भारत सरकार वज्रपात से प्रभावित राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में सक्षम होगी। बता दें कि भारत में हर साल बिजली गिरने से 2,500 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। दिल्ली स्थित आरएमएसआई के एक अध्ययन के मुताबिक, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और झारखंड ऐसे राज्य हैं जहां हाल के वर्षों में सबसे ज्यादा बिजली गिरने की घटनाएं हुई हैं।

1967 और 2019 के बीच भारत में बिजली गिरने से 100,000 से अधिक मौतें

सरकार ने आंकड़े जारी किए हैं जो बताते हैं कि 1967 और 2019 के बीच भारत में बिजली गिरने से 100,000 से अधिक मौतें हुई हैं। वहीं इतने ही समय में प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली मौतों में से यह आंकड़ा एक तिहाई अधिक है। बता दें कि बिजली गिरना भारत में चिंता का एक महत्वपूर्ण कारण है। इसकी वजह से बड़ी संख्या में मौतें होती हैं और संपत्ति को नुकसान होता है। गौरतलब है कि एसडीआरएफ के तहत बिजली गिरने को कवर नहीं किया जाता है। वर्तमान में, केवल कुछ प्रकार की आपदाएं राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) के अंतर्गत आती हैं।

download 2023 03 18T140250.672
Lightning Strikes

जिन प्रकार की आपदाओं को कवर किया जाता है उनमें चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सूनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, कीटों के हमले, पाले और शीत लहरें शामिल हैं। SDRF को राज्य और केंद्र दोनों सरकारों से फंड मिलता है, जिसमें केंद्र सरकार 75% धनराशि प्रदान करती है। हालांकि, बिजली गिरने की घटनाएं वर्तमान में SDRF के अंतर्गत नहीं आती हैं, जिसका अर्थ है कि बिजली से संबंधित आपदाओं का जवाब देने के लिए राज्यों को अपने स्वयं के संसाधनों का उपयोग करना होगा।

बिजली,ठनका क्यों कब और कैसे गिरता है?

बता दें कि ठनका गिरना एक प्राकृतिक आपदा है। गर्मी के मौसम में समुद्र, नदियां और तालाब के पानी वाष्प बनकर बादलों में तब्दील हो जाता है। जब यह वाष्प करीब 165 मीटर की ऊंचाई पर जाता है तो इसके तापमान में गिरावट होता है। यही पानी ऊपर बर्फ के टूकड़ों में तब्दील हो जाते हैं। जिसके कारण कभी-कभी बर्फ के टुकड़े भी गिरते है। बर्फ हवा के कारण आपस में टकराने लगते हैं जिसके कारण एक घर्षण उत्पन्न होता है। उस घर्षण से एस्थेटिक करंट बनता है। उस करंट का पॉज़िटिव चार्ज आसमान में चला जाता है। परन्तु उसका नेगेटिव चार्ज नीचे आ जाता है। ये निगेटिव चार्ज अपने लिए पॉज़िटिव चार्ज की तलाश करता है।

जब अधिक बारिश के कारण जोरों की हवाएं चलती हैं। तब ज़मीन पर लगे घास आपस में टकराते हैं। घासों के टकराने पर एक घर्षण पैदा होता है उस घर्षण से चार्ज बनता है। जिसका नेगेटिव चार्ज नीचे चला जाता है लेकिन पॉज़िटिव ऊपर ही रह जाता है। इसी पॉज़िटिव चार्ज की ओर आसमान का नेगेटिव चार्ज आकर्षित होकर चला आता है जिसे आकाशीय बिजली,वज्रपात या ठनका गिरना कहते हैं।

यह भी पढ़ें:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here