Nathuram Godse: 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी। बाद में नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी गयी। 15 नवंबर यानी आज ही के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी गयी थी। गोडसे ने मरने से पहले वसीयत लिखी थी और अपनी आखिरी ख्वाहिश भी जाहिर की थी।
नाथूराम की आखिरी इच्छा आज भी अधूरी है। आज हम आपको बताएंगे कि उसकी आखिरी इच्छा क्या थी और उसने अपनी वसीयत में क्या लिखा था।

Nathuram Godse की वसीयत
नाथूराम गोडसे ने अपनी फांसी से पहले अपने भाई दत्तात्रेय विनायक गोडसे के नाम एक पत्र लिखा था। जिसे उसकी वसीयत समझा जाता है। नाथूराम ने अपने बीमा के पैसों को दत्तात्रेय और उनकी पत्नी और दूसरे भाई की पत्नी को देने को कहा था। गोडसे चाहता था कि उसका अंतिम संस्कार दत्तात्रेय गोडसे करे। गोडसे ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उसकी अस्थियों को अखंड भारत की सिंधु नदी में प्रवाहित किया जाए। यही उसकी आखिरी इच्छा थी।
उस साल गांधी की हत्या के बाद मई में मुकदमा शुरू हुआ। आठ महीने चले मुकदमे के बाद अदालत ने 10 फरवरी 1949 को फैसला दिया।आठ लोगों को हत्या की साजिश में शामिल पाया गया। नारायण आप्टे और नाथूराम गोडसे को फांसी मिली और बाकी को आजीवन कारावास।
नाथूराम गोडसे के अलावा सभी ने अपनी सजा को स्वीकार किया। हालांकि गोडसे का कहना था कि वह ही पूरी तरह से हत्या के लिए जिम्मेदार है। बाद में ऊपरी अदालत ने 8 आरोपियों में से 2 को बरी कर दिया और 6 को सजा सुनाई।

गांधी की हत्या क्यों?
गोडसे का मानना था कि बंटवारे के समय पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों के साथ हो रही हिंसा रुक सकती थी अगर गांधी और भारत सरकार कोशिश करते। गोडसे के मुताबिक, महात्मा गांधी ने हिंदुओं और सिखों के प्रति हो रही हिंसा को रोकने के लिए कुछ नहीं किया, उल्टा गांधी उपवास करने लगे।
गोडसे का मानना था कि गांधी के रहते भारत सरकार व्यावहारिक काम नहीं कर सकती, पाकिस्तान को जवाब नहीं दे सकती। गोडसे के मुताबिक गांधी ने भारत सरकार को मजबूर किया कि वह पाकिस्तान को आर्थिक मदद दे। गोडसे ने कहा कि गांधी के हठ के मुताबिक देश चल रहा है न कि इसके लोगों की इच्छा के मुताबिक।
गोडसे के मुताबिक, गांधी की अहिंसा पाकिस्तान के मामले में कारगर नहीं है। गोडसे गांधी को हिंदू समाज का दुश्मन मानता था। उसके हिसाब से गांधी जीवित रहते हैं तो वे हिंदुओं का अहित करेंगे क्योंकि वे मुस्लिमों के आगे जरूरत से ज्यादा झुक चुके हैं।

गांधी के बेटों ने सजा कम करने की मांग की थी
नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को 8 नवंबर 1949 को फांसी की सजा सुनाई गयी थी। महात्मा गांधी के बेटे मणिलाल और रामदास ने गोडसे की सजा को कम करने के लिए याचिका दायर की थी लेकिन भारत सरकार ने इसे खारिज किया। 15 नवंबर 1949 को अंबाला की जेल में गोडसे और आप्टे को फांसी दी गयी।
संबंधित खबरें…
Hindu Mahasabha अंबाला जेल की मिट्टी से ग्वालियर में Nathuram Godse की मूर्ति बनाएगी
हिन्दू महासभा नाथूराम गोडसे की देशभक्ति के सुनाएगा किस्से, ग्वालियर में खोला स्टडी सेंटर