16 दिसंबर 1971 इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया है। आज के 50 साल पहले भारत ने नए देश कि किस्मत लिखी थी। जिसे बांग्लादेश के नाम से जाना गया। 16 दिसंबर वह तारीख जब 49 साल पहले दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश के रूप में एक नए देश का जन्म हुआ और पाकिस्तान का नक्शा बदल गया था। इस दिन को भारत में विजय दिवस के रूप में मनाया जताा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजय मशाल प्रज्‍ज्वलित किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 साल पूरा होने के अवसर पर बुधवार को राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक की अमर ज्योति से ”स्‍वर्णिम विजय मशालें प्रज्‍ज्वलित कर उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में रवाना किया।

विजय दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) विपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख उपस्थित थे।

मोदी ने राष्‍ट्रीय समर स्‍मारक पर लगातार जलती रहने वाली ज्‍योति से चार विजय मशाल प्रज्‍ज्वलित कीं और उन्‍हें 1971 के युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेताओं के गांवों सहित देश के विभिन्‍न भागों के लिए रवाना किया। इन विजेताओं के गांवों के अलावा 1971 के युद्ध स्‍थलों की मिट्टी को नई दिल्‍ली के राष्‍ट्रीय युद्ध स्‍मारक में लाया जाएगा।
  

युद्ध का असल कारण

16 deember 1971

आवामी लीग के नेता शेख मुजीबुर्रहमान पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराने के लिए शुरू से ही संघर्ष कर रहे थे। पश्चिमी पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों के कारण पूर्वी पाकिस्तान में असंतोष बढ़ता जा रहा था। शेख ने इसके लिए एक 6 सूत्रीय फॉर्म्यूला तैयार किया था। इस फॉर्म्यूला के कारण पाकिस्तान सरकार ने उनपर मुकदमा भी चलाया।

साल 1970 का पाकिस्तान चुनाव पूर्वी पाकिस्तान को आज़ाद देश बनाने में अहम रहा।मुजीबुर्रहमान की पार्टी पूर्वी पाकिस्तानी आवामी लीग को जीत मिली थी। पूर्वी पाकिस्तान की 169 से 167 सीटें शेख मुजीब की पार्टी को मिली लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओं को यह स्वीकार नहीं हुआ और उन्हें जेल में डाल दिया गया। 

bangladesh former

देश की सत्ता में उचित प्रतिनिधित्व न मिलने की वजह से पूर्वी पाकिस्तान में विरोध की आवाज़ें और बुलंद हो गई। जनता सड़कों पर आंदोलन करने लगी। इस आंदोलन को दबाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने कई क्रूर अभियान चलाए। हत्या और बलात्कारों के मामले दिनोंदिन बढ़ते रहे। इन अत्याचरों से बचने के लिए बड़ी संख्या में लोग भारत में शरण लेने लगे, जिससे भारत में शरणार्थी संकट बढ़ने लगा।

31 मार्च, 1971 को इंदिरा गांधी ने मदद का किया ऐलान

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इन सब अत्याचारों और शरणार्थियों की बढ़ती संख्या को लेकर भारत सतर्क था। 31 मार्च, 1971 को भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बंगाल के लोगों को मदद देने की बात कही। पश्चिमी पाकिस्तान के अत्याचारों से निपटने के लिए पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति वाहिनी सेना बनी, जिसे भारतीय सेना ने पूरी तरह मदद मुहैया कराई थी। 

नाराज़ पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन चंगेज़ खान’ के नाम से भारत के 11 एयरेबसों पर हमला कर दिया। इस हमले के बाद ही 3 दिसंबर को भारत आधिकारिक तौर पर युद्ध का हिस्सा बना। यह युद्ध 13 दिनों यानी 16 दिसंबर तक चला। इसी दिन बांग्लादेश आज़ाद हुआ। इसके बाद से भारत में यह दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

पाकिस्तान के 4 पोत डूब गए थे और 500 से ज्यादा पाकिस्तानी नौसैनिक मारे गए थे। 

सन 1971 में 4-5 दिसंबर की रात को भारतीय नौसेना ने ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ को अंजाम दिया। उस समय अर्थव्यवस्था की दृष्टि से पाकिस्तान के लिए कराची बंदरगाह बहुत अहम था। दिल्ली स्थित भारतीय नौसेना के हेडक्वार्टर और वेस्टर्न नेवल कमांड ने मिलकर ऑपरेशन को अंजाम देने की योजना बनाई। इस ऑपरेशन का मकसद कराची में पाकिस्तानी नौसेना के अड्डे पर हमला बोलना था। भारतीय नौसेना के हमले में  पाकिस्तान के 4 पोत डूब गए थे और 500 से ज्यादा पाकिस्तानी नौसैनिक मारे गए थे। 

हमले में कराची हार्बर फ्यूल स्टोरेज को भी पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया था। इस ऑपरेशन में पहली बार एंटी-शिप मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था। इस हमले के बाद ही 8-9 दिसंबर 1971 को भारतीय नौसेना ने ‘ऑपरेशन पाइथन’ चलाया। इस दौरान भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाहों पर मौजूद जहाजों पर हमला किया था। इस दौरान एक भी भारतीय जहाज को नुकसान नहीं पहुंचा था। इस ऑपरेशन की सफलता के बाद से ही हर साल 4 दिसंबर को भारत में नेवी डे के रूप में मनाया जाने लगा। 

93 हज़ार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

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पाकिस्तानी कार्रवाई के जवाब में भारत ने उसके 15 हजार किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। यह युद्ध तब खत्म हुआ जब पाकिस्तानी सशस्त्र बल के तत्कालीन प्रमुख जनरल आमिर अब्दुल्लाह खान नियाज़ी ने अपने 93 हज़ार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

हालांकि, भारत ने पाकिस्तान के साथ सन् 1972 में शिमला समझौता किया। इस समझौते के तहत भारत ने पश्चिमी मोर्चे पर जीती जमीन भी लौटा दी और पाकिस्तानी युद्धबंदियों को भी छोड़ दिया। बांग्लादेश को पाकिस्तान के चंगुल से आजाद करा दिया और उसकी जमीन से भारतीय सेना वापस लौट आई।

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