Varun Gandhi: भाजपा सांसद वरुण गांधी लगातार अपनी पार्टी और केंद्र की सरकार को निशाना बनाने के लिए सुर्खियों में रहे हैं, इस बार बड़े पैमाने पर बैंक धोखाधड़ी और उनके पीछे आर्थिक अपराधियों को लेकर फिर से हमले की मुद्रा में हैं। गांधी ने केंद्र सरकार पर व्यंग करते हुए कहा कि एक “मजबूत सरकार” से “मजबूत कार्रवाई” की उम्मीद है। वरूण गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा कि आज जब कर्ज के बोझ तले दब कर देश में रोज लगभग 14 लोग आत्महत्या कर रहे हैं, तब ऐसे धन पशुओं का जीवन वैभव के चरम पर है।
बता दें कि भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या और नीरव मोदी 9,000 करोड़ रुपये और 14,000 करोड़ रुपये बैंक धोखाधड़ी के बाद देश से भाग गए हैं। वहीं ऋषि अग्रवाल लगभग 23,000 करोड़ रुपये के घोटाले के केंद्र में हैं। माना जा रहा है कि यह देश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है।
Varun Gandhi कई मुद्दों पर सरकार के रुख की करते रहे हैं कड़ी आलोचना
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से सांसद वरूण गांधी हाल के कई मुद्दों पर सरकार के रुख की कड़ी आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने तीन कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध पर भी केंद्र सरकार पर हमला बोला था, जो बाद में आंदोलन के कारण निरस्त कर दिए गए थे। उन्होंने साल भर के विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों की मौत के लिए मुआवजे की भी मांग की थी और केंद्र से केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया था, जिस पर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों को कुचलने का आरोप है।
Varun Gandhi ने महंगाई के मुद्दे पर भी केंद्र को घेरा

गांधी ने बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा था। पिछले साल दिसंबर में पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र के दौरे पर भाजपा सांसद ने कहा था कि वह अकेले हैं जो गन्ने के लिए एमएसपी बढ़ाने का मुद्दा उठाते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा में अन्य लोग ऐसे मुद्दे नहीं उठाते क्योंकि उन्हें डर है कि उन्हें चुनावी टिकट नहीं दिया जाएगा।
संबंधित खबरें…
- JNU की VC के रूप में Santishree Dhulipudi की नियुक्ति पर Varun Gandhi ने उठाया सवाल, बोले- ऐसे लोगों के अपॉइंटमेंट से युवाओं का होता है भविष्य बर्बाद
- UP Election 2022: BJP ने जारी किया स्टार प्रचारकों का लिस्ट, Varun Gandhi को नहीं मिली जगह, देखें नाम
- Varun Gandhi ने फिर पूछा सवाल, कहा- Night Curfew और दिन में रैलियों का आयोजन समझ से परे