क्या होती है ‘रैट होल माइनिंग’ जिसने उत्तरकाशी रेस्क्यू ऑपरेशन में दिलाई कामयाबी ?

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उत्तराखंड में सिल्कयारी सुरंग में 17 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों तक पहुंचने के लिए पाइप बिछाने का काम पूरा हो गया है और उन्हें कभी भी बाहर निकाला जा सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने मंगलवार दोपहर ट्वीट किया, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के कर्मी और डॉक्टर अब सुरंग में प्रवेश करने और फंसे हुए लोगों की स्थिति का आकलन करने और उन्हें बाहर लाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए तैयार हैं। इस बीच, अधिकारियों ने कहा कि श्रमिकों को बचाए जाने के बाद उत्तरकाशी के एक अस्पताल ले जाया जाएगा जहां उनके लिए एक विशेष वार्ड बनाया गया है।

रैट होल माइनिंग से मिली कामयाबी

आपको बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ध्वस्त सिल्कयारा सुरंग के मलबे में फंसे 41 श्रमिकों तक पहुंचने के लिए “रैट-होल माइनर्स” की एक टीम ने कल ड्रिलिंग ऑपरेशन शुरू किया था जो कि आज पूरा हुआ। 21 घंटे में 12 मीटर की खुदाई की गई। 24 नवंबर को एक अमेरिकी ऑगर मशीन द्वारा मलबे को काटने में विफल रहने के बाद फंसे हुए श्रमिकों के बचाव के लिए रैट होल माइनिंग का इस्तेमाल किया गया। इसके तहत एक आदमी ड्रिलिंग करता है, दूसरा मलबा इकट्ठा करता है और तीसरा उसे बाहर निकालने के लिए ट्रॉली पर रखता है। रैट-होल माइनिंग बहुत छोटे गड्ढे खोदने का एक तरीका है। एक बार जब टारगेट तक पहुँच जाते हैं, तो टारगेट को निकालने के लिए बग़ल में सुरंगें बनाई जाती हैं। रैट-होल माइनिंग में,खुदाई करने के लिए हाथ से पकड़े जाने वाले उपकरणों का उपयोग किया जाता है।

कैसे फंस गए थे मजदूर?

मालूम हो कि 12 नवंबर को सिल्क्यारा की ओर से 205 से 260 मीटर के बीच सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। जो श्रमिक 260 मीटर के निशान से आगे थे वे फंस गए, उनके बाहर निकलने का रास्ता अवरुद्ध हो गया। माना जा रहा है कि यह सुरंग भूस्खलन के कारण ढह गयी थी।

क्यों बनाई जा रही थी सुरंग?

मालूम हो कि यह निर्माणाधीन सुरंग चार धाम परियोजना का हिस्सा है, जो बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तक कनेक्टिविटी बढ़ाएगी। सिल्क्यारा सुरंग के नाम से भी जानी जाने वाली यह सुरंग उत्तरकाशी जिले में सिलयारा और डंडालगांव को जोड़ने वाले मार्ग पर है। यह एक डबल लेन सुरंग है और चार धाम परियोजना के तहत सबसे लंबी सुरंगों में से एक है।

सिल्कयारा की ओर से निर्माणाधीन सुरंग का लगभग 2.4 किमी और दूसरी ओर से 1.75 किमी का निर्माण किया गया है। सुरंग के पूरा हो जाने पर यात्रा के समय में एक घंटे की कमी आने की उम्मीद है। सुरंग हैदराबाद स्थित नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा बनाई जा रही है।

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