जहां एक तरफ जम्मू-कश्मीर में तेजी से हालात सामान्य हो रहे हैं वहीं इसी बीच आतंकी लगातार घाटी को हिंसा की आग में झोंकने की साजिश रच रहे हैं, आतंकी ऐसा एक भी मौका अपने हाथों से नहीं जाने देती जिससे निकलने देना जम्मू-कश्मीर में हिंसा की आग को फैलाया जा सके। आलम यह है कि आतंकी संगठन पहले अपने लोगों से घाटी में जघन्य आपराधिक वारदातों को अंजाम दिलाते हैं, फिर इन वारदात की तस्वीरों को मार्मिक रंग देकर सोशल मीडिया में प्रसारित करना शुरू कर देते हैं।
इस साजिश के पीछे आतंकियों का मकसद घाटी में लोगों को सुरक्षा के खिलाफ भड़काना और हिंसा की आग को तेज करना है। इसी साजिश के तहत आतंकियों ने इस बार घाटी में हिंसा फैलाने के लिए 9 वर्षीय बच्चे के शव की तस्वीरों का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया हैं।
दरअसल, गुरुवार को कुपवाड़ा के जंगलों से 9 वर्षीय बच्चे का शव बेहद बुरी हालत में बरामद किया गया था। इस बच्चे की पहचान गुलगाम निवासी अमर फारुख मलिक के रूप में हुई थी। उमर सोमवार (16 जुलाई) की शाम चार बजे से लापता था। सूत्रों के अनुसार उमर कुलगाम के एक स्कूल में तीसरी क्लास का छात्र था। 16 जुलाई की शाम 4 बजे वह अपने घर से स्कूल के लिए निकला था। जिसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला। उमर के पिता फारुख अहमद मलिक ने पुलिस को भी शिकायत दी, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उमर का कुछ पता नहीं चला।
सूत्रों के अनुसार, गुरुवार की शाम स्थानीय लोगों ने बेहद बुरी हालत में गुशी इलाके स्थित नाले के पास एक बच्चे के शव को देखा। कुछ ही पलों में यह खबर आग की तरफ पूरे इलाके में फैल गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर शव की शिनाख्त कराई।
मासूम उमर की जिस तरह से हत्या की गई है, उसको देखने के बाद इलाके के हर शख्स का दिल गुस्से से भरा हुआ है। आतंकी संगठन अब इस गुस्से का फायदा सुरक्षाबलों के खिलाफ उठाना चाहते हैं। आतंकी संगठनों को पता है कि चार दिनों तक चली तमाम कोशिशों के बावजूद पुलिस बच्चे को खोज निकालने में असफल रही थी। जिसकी नाराजगी लोगों के दिलों में है।
वहीं मौके की तलाश में घूम रहे आतंकियों ने अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए इस गुस्से का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। आतंकी संगठन, अपने चहेतों के ट्वीटर हैंडल से बच्चे की पुरानी तस्वीर के साथ, उसके शव की तस्वीर पोस्ट कर रहे हैं। इन ट्वीट में लिखे अल्फाजों का इस्तेमाल सुरक्षाबलों के खिलाफ घाटी को भड़काने के लिए किया जा रहा है।
सुरक्षाबल के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पत्थरबाजों की संख्या में तेजी से आई कमी ने आतंकी संगठनों को परेशान कर दिया है। अभी तक सुरक्षाबलों की गिरफ्त से अपने आतंकियों को निकालने के लिए इन्हीं पत्थरबाजों का इस्तेमाल आतंकी संगठन कर रहे थे। आतंकी संगठन किसी भी कीमत में घाटी में पत्थरबाजों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं। आतंकी संगठन नौ साल के बच्चे की हत्या से फैले गुस्से का इस्तेमाल अपने नए पत्थरबाजों की भर्ती के लिए करना चाहते हैं। जिससे सुरक्षाबलों की आतंकियों के खिलाफ होने वाली हर कार्रवाई को रोकने में इन पत्थरबाजों का इस्तेमाल किया जा सके।