सरकारी स्कूल में दिया जाने वाला मिड डे मील अब वरदान नहीं अभिशाप बनता जा रहा है। एक तरफ जहां बच्चों को भूख की पीड़ा से आजादी मिल रही वहीं अब लापरवाहियों की पीड़ा का दर्द बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। जी हां, मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों में दिया जाने वाला मिड डे मील अब बच्चों की जान पर आफत बनता दिखाई दे रहा है। दमोह जिले में एक बार फिर जहरीले मिड डे मील की वजह से एक साथ पचास से ज्यादा मासूमों की जिंदगी खतरे में पड़ गई। घटना के बाद सभी बच्चों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं खाने के सैंपल को टेस्टिंग के लिए भेज दिया गया। यह घटना गुरुवार की है, जब बच्चे स्कूल में दोपहर का खाना खाने के लिए एक जगह जमा हुए थे।
अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में भी बच्चे मिड डे मील के वजह से परेशानी में आ गए थे। बाहरी दिल्ली के नरेला इलाके में स्थित एक सरकारी स्कूल में बुधवार को मिड-डे मील खाने के बाद 25 छात्र बीमार पड़ गए थे। इसके बाद इन्हें पास के ही सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल ले जाया गया। इस अस्पताल एक वरिष्ठ डॉक्टर के मुताबिक, ‘छात्रों की हालत खतरे से बाहर है और उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है। जल्दी ही इन बच्चों को अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है।’
वहीं मध्य प्रदेश में बताया जा रहा है कि दमोह में जबलपुर स्टेट हाइवे पर मारूताल में बने सरकार के मिडिल स्कूल में गुरुवार की दोपहर अचानक लड़कियां और लड़के बेहोश होने लगे। बच्चों को लगातार पेट दर्द और उल्टी की शिकायत हो रही थी। देखते ही देखते पूरे स्कूल के बच्चे बीमार हो गए। जब तक स्कूल का स्टाफ कुछ समझ पाता तब तक कई बच्चों की हालत बिगड़ गई थी। तत्काल स्कूल की हेड मास्टर ने हालात की जानकारी आला अधिकारीयों को दी और एंबुलेंस बुलाकर बच्चों को दमोह के जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया। जिला अस्पताल दमोह के डॉक्टरों ने बताया कि पचास बच्चों का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सारे बच्चे फूड पॉयजनिंग का शिकार हुए हैं।