चुनाव लोकसभा का हो या विधानसभा का, जो भी प्रत्याशी चुनाव के लिए नामांकन भरता है। वह जीतने के लिए लाखों, करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा देता है। हाल ही में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। धनबल के सहारे चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों पर चुनाव आयोग की नज़र टेढ़ी हो गई है। चुनाव आयोग ने पहली बार स्टैंडर्ड कॉस्टिंग मैथड लागू किया है।

विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं, समर्थकों को जो चाय पिलाएंगे, उसके दाम आयोग तय करेगा। ऐसा ही नाश्ते और खाने में भी होगा। चाय की कीमत 10 रुपये प्रति कप और नाश्ता 12 रुपये का होगा। प्रति व्यक्ति भोजन सौ रुपये थाली ही होगा। प्रत्याशी इससे कम कीमत की चाय, नाश्ता या खाना नहीं खिला सकेंगे, क्योंकि यह रकम चुनाव आयोग ने तय की है। इसके साथ ही पंडाल, कुर्सी, मेज, पोस्टर, पंफलेट आदि चुनाव से जुड़ी करीब 150 चीजों की कीमतें आयोग ने तय की हैं। आयोग का मानना है कि इससे हर उम्मीदवार का खर्च स्टैंडर्ड होगा और उनकी मनमानी नहीं चल सकेगी। इस बार के चुनाव में प्रत्येक प्रत्याशी के लिए चुनाव खर्च की सीमा 28 लाख रुपये तय की गई है।

हालांकि प्रत्याशी चुनावों में इससे कई गुना अधिक रकम खर्च कर देते हैं। बड़े-बड़े पंडाल और लाउडस्पीकर लगाकर सभाएं की जाती हैं। लंच और  डिनर में लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं लेकिन चुनाव खर्च के ब्योरे में हर चीज की कीमत बहुत ही कम दिखायी जाती है। इस तरह की गड़बड़ी न हो इसलिए, चुनाव आयोग ने यह कदम उठाया है। चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों को एक झटका और दिया है। उम्मीदवार को नामांकन वाले दिन ही बैंक में खाता खोलना होगा। यह  संयुक्त खाता पारिवारिक सदस्य के साथ नहीं खुलेगा, बल्कि प्रस्तावक के साथ संयुक्त खाता होगा। उसी खाते से चुनावी खर्चों का भुगतान होगा। 20 हजार रुपये से अधिक का भुगतान जिस किसी को भी किया जाएगा, उम्मीदवार को उसका पैन भी लेना होगा। इससे कम नगद भुगतान की स्थिति में बिल, बाउचर आदि भी रिकार्ड में लगाना होगा। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग का यह फार्मूला कितना कारगर साबित होता है?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here