मंगलवार की शाम वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के बाद धनकुबेरों के कालेधन पर लगाम लगाने के लिए एक अभियान की शुरुआत की। वित्त मंत्री ने ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ नाम की एक वेबसाइट को लॉन्च किया जिसके तहत सरकार छापेमारी के रिकॉर्ड को वेबसाइट पर डालेगी। इतना ही नहीं बल्कि विभिन्न श्रेणियों में गबन करने वाले डिफॉल्टरों की रेटिंग करेगी। जिसमें कार्रवाई के उल्लंघन को विशेष विभिन्न स्तरों अत्यधिक जोखिम, मध्यम जोखिम, कम जोखिम और जोखिम के आधार पर उल्लेखित किया जाएगा। खबर के मुताबिक इन स्तारों में अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्तियों के साथ सीधे तौर पर पूछताछ, तलाशी और जब्ती जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा तो वहीं मध्यम जोखिम वाले व्यक्तियों को एसएमएस या ईमेल के जरिए सूचित किया जाएगा। उधर, कम जोखिम वालों पर सरकार पैनी नजर बनाए रखेगी। इस वेबसाइट की खास बात यह है कि इसमें जांच के दौरान व्यक्ति विशेष और समूहों की पहचान उजागर नहीं की जाएगी
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड(सीबीडीटी) के अध्यक्ष सुशील चंद्रा ने कहा,’हम शुल्क मामले में गैर-शुल्क शिकायत में बदलाव करना चाहते हैं। इस दौरान इनकम टैक्स विभाग छापेमारी की खबरों को लॉन्च किए गए ऑपरेशन क्लीन मनी की वेबसाइट पर डालेगा। वेबसाइट उस प्रक्रिया की संपूर्ण जानकारी देगी जिसके चलते टैक्स डिफॉल्टर की पहचान की गई थी।’ सुशील चंद्रा ने कहा कि पीएम मोदी द्वारा नोटबंदी के फैसले के बाद 91 लाख नए कारदाता सामने आए हैं साथ ही 16398 करोड़ रुपये के अघोषित आय का भी पता चला है।
शेल कंपनियों और लालू-चिदंबरम के ठिकानों पर जेटली का बयान
वेबसाइट लॉन्चिंग के दौरान वित्त मंत्री जेटली ने कहा,’शेल कंपनियों का मसला छोटा मसला नहीं है, कुछ पूंजीपति, उद्योगपति और राजनैतिक कुर्सियों पर बैठे लोग शेल कंपनियों के जरिए संपत्ति बना रहे हैं, अब समय आ गया है कि यह धनकुबेर अपने धन का हिसाब दे।’ उन्होंने आगे बताया कि जब तक इनकम टैक्स विभाग के पास इन धनकुबेरों के खिलाफ पक्का और ठोस सबूत नहीं लगता तब तक ऐसे लोगों पर टैक्स चोरी या अन्य एक्शन नहीं लिया जाएगा। विमुद्रीकरण के बाद से देश में डिजिटाइजेशन का दायरा बढ़ा है साथ ही टैक्स की तेजी से बढ़ोतरी की गई है अब लोग कैश में लेन देन करने से बच रहे हैं।