
Supreme Court ने मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार और पतंजलि को नोटिस जारी किया है। दरअसल, IMA ने बाबा रामदेव के एलोपेथी और वैक्सीनेशन के खिलाफ वाले बयान को लेकर याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि बाबा रामदेव को दूसरी चिकित्सा पद्धतियों पर सवाल उठाने से बचना चाहिए।

Supreme Court ने उठाए सवाल
साथ ही चीफ जस्टिस ने बाबा रामदेव की टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि बाबा रामदेव को क्या हुआ है? योग को लोकप्रिय बनाने के लिए हम उनकी इज्जत करते हैं, लेकिन वे इलाज की दूसरी पद्धतियों पर सवाल नहीं उठाए यह सही नहीं है। वे क्यों इन सभी लोगों पर आरोप लगा रहे हैं और दवाइयों को लेकर ऐसी बातें कर रहे हैं? उन्होंने इस तरह के बड़े विज्ञापन क्यों दिए कि डॉक्टर किलर हैं। वे इस तरह से सिस्टम और डॉक्टरों के बारे में नहीं कह सकते हैं।
IMA ने दायर की थी याचिका
IMA ने कहा था कि यह सब टीवी और अखबारों के कारण हो रहा है। जब डॉक्टरों ने बाबा रामदेव के इस बयान को लेकर विरोध किया उसके बाद संसद में इस मुद्दे को उठाया गया था। इस पर CJI एनवी रमणा ने IMA से पूछा की आखिर वे चाहते क्या हैं?

इसके जवाब में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि हम चाहते हैं कि कोई प्राधिकरण इस मुद्दे को उठाए, हमने पूरे महामारी के दौरान इस मुद्दे को उठाया। इसके बावजूद जुलाई 2022 में इस तरह के विज्ञापन चलाए जा रहे थे। विज्ञापन मानकों के अनुसार ऐसी गलत सूचना देना दण्डनीय अपराध है।
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