सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक अहम मसले पर स्वत: संज्ञान लिया। कोर्ट ने फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों की स्थिति और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानी NCPCR (National Commission for Protection Of Child Rights) की ओर से जारी गाइडलाइंस के पालन को लेकर अब तक क्या किया गया इस पर जवाब मांगा है।जस्टिस नागेश्वर राव ने पूछा NCPCR की ओर से जारी गाइडलाइंस के पालन को लेकर क्या किया गया है? उन्होंने कहा कि दो राज्यों ने अपना जवाब दिया है।
गुजरात सरकार की ओर से कहा गया कि हम NCPCR की गाइडलाइंस का पालन कर रहे हैं। इसके तहत करीब दो हजार कंपनसेशन को लेकर विचार किया जा रहा है। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने कोर्ट को बताया कि गाइडलाइंस पर काम कर रही है।कोर्ट ने तमिलनाडु और दिल्ली सरकार को आदेश जारी कर NCPCR गाइडलाइंस पालन करने की बात कही है।कोर्ट ने NCPCR की गाइडलाइंस का सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पालन करने का आदेश जारी किया।

Supreme Court: योजनाएं महज कागज तक ही न हो सीमित

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए पुनर्वासित नीति तैयार करने के सुझावों को लागू करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही फटकार लगाते हुए कहा कि काम महज कागजों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए।जस्टिस एल.नागेश्वरराव और जस्टिस बीआर. गवई की पीठ ने कहा कि अब तक केवल 17,914 सड़कों पर रहने वाले बच्चों का डाटा ही दिया गया है।
जबकि ऐसे बच्चों की संख्या करीब 15- 20 लाख के आसपास है। इस बाबत संबंधित अधिकारियों को National Commission for Protection Of Child Rights के पोर्टल पर जानकारियां अपडेट करनी होंगी। एनसीपीसीआर के सुझावों के सही क्रियान्वयन के लिए महीने में एक बार समीक्षा पर भी जोर दिया।
एनसीपीसीआर की ओर से सॉलिसिटर जनरल केएल.नटराज ने कहा कि राज्यों के अधिकारी निरीक्षण और जांच में पूरा सहयोग नहीं कर रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई अब चार हफ्ते के बाद होगी।
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