Supreme Court: पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्यारे की दया याचिका के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कैबिनेट की रिहाई के प्रस्ताव को राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के पास भेजे जाने के मामले पर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि करते हुए कहा कि संघवाद का विनाश करने जैसा है।
कोर्ट ने पूछा कि राज्य की सिफारिश के बाद भी पेरारिवलन को 3 साल और 8 महीने के बाद भी रिहा क्यों नहीं किया गया? सुप्रीम कोर्ट 10 मई को मामले की सुनवाई करेगा।

Supreme Court: केंद्र से पक्ष स्पष्ट करने को कहा

पिछली सुनवाई में जस्टिस एल नागेश्वर राव ने केंद्र से इस मामले पर अपना पक्ष स्पष्ट करने का निर्देश देते हुए केंद्र से पूछा था कि पेरारिवलन को रिहा क्यों नहीं करना चाहिए?
उन्होंने कहा की उसकी रिहाई पर यह मामला तय नहीं हो पा रहा है, कि उसकी रिहाई पर फैसला कौन करेगा?
ऐसे में क्यों न उसे रिहा कर दिया जाए? कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि क्या राज्य के राज्यपाल के पास राज्य मंत्रिमंडल द्वारा भेजी गई सिफारिश को बिना निर्णय लिए राष्ट्रपति को भेजने की शक्ति है?
इस मामले पर पेरारिवलन का कहना है कि वह 30 साल से ज्यादा की सजा काट चुका है। उसे रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले पर राज्यपाल और केंद्र मंजूरी नहीं दे रहे हैं। फिलहाल राज्यपाल द्वारा उसकी फ़ाइल राष्ट्रपति के पास यह कहते हुए भेज दी गई है कि इस मसले पर निर्णय लेने का अंतिम अधिकार राष्ट्रपति का है।
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