उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने आज पश्चिम बंगाल (West Bengal) की सरकार द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने राज्य में अपने पुलिस महानिदेशक (DGP) को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के दखल के बिना नियुक्त करने की अनुमति मांगी थी। Supreme Court ने UPSC द्वारा पैनल में शामिल तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों में से राज्यों को अपने डीजीपी का चयन करने के खिलाफ बार-बार आवेदन दाखिल करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की खिंचाई की और राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। Supreme Court ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह की याचिका से Court की फैसले की प्रक्रिया और धीमी हो जाएगी। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा (Sidharth Luthra) ने कहा कि DGP की नियुक्ति विशेष रूप से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है और यूपीएससी को इसमें कोई भूमिका नहीं सौंपी जा सकती।

Supreme Court ने लगाई फटकार
Justices एल एन राव (L Nageswara Rao), बी आर गवई (BR Gavai), और बी वी नागरत्ना (BV Nagarathna) की पीठ ने कहा ” हम आपसे खुलकर बात कहते mr.लूथरा। कृपया एक ही याचिका के साथ बार-बार आवेदन दाखिल न करें, भले ही पहले की दलीलें खारिज कर दी गई हों। राज्य सरकार द्वारा ऐसा किए जाने पर अच्छा नहीं लगता है। ” वहीं इस याचिका के फैसले पर Justices एल एन राव ने कहा कि “एस तरह का काम किसी भी व्यक्ति को भी नहीं करना चाहिए। यदि राज्य ऐसा करना शुरू कर देगें, तो मुकदमेबाजी का कोई अंत नहीं होगा। यह Supreme Court में फैसले की प्रक्रिया को और धीमा कर देगा। फिर आप जैसे वकील हैं जो कहते हैं कि जमानत अर्जी की सुनवाई में भी देरी होती है।“
प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ का फैसला
प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ (Prakash Singh vs Union of India) में अपने 2006 के फैसले में Supreme Court ने राज्यों के DGP के चयन और न्यूनतम कार्यकाल से संबंधित विशिष्ट निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि DGP का चयन राज्य सरकार द्वारा उन तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से किया जाएगा, जिन्हें संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा उस rank पर पदोन्नति के लिए पैनल में रखा गया है। प्रकाश सिंह Prakash Singh की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने कहा कि अदालत 15 साल पुराने फैसले को लागू करने पर विचार कर रही है और अधिकांश राज्य अब तक पुलिस सुधारों पर कई निर्देशों को लागू करने में विफल रहे है।
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