चांद तारा के निशान वाले हरे रंग के झंडे पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी तुषार मेहता से कहा कि इस मामले पर केंद्र से निर्देश प्राप्त कर कोर्ट को बताएं। याचिका यूपी शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने दायर की है। रिजवी का कहना है कि यह झंडा पाकिस्तान और मुस्लिम लीग से मिलता जुलता है।
तिरंगे के सम्मान और इस्तेमाल को लेकर तमाम विवादों के बाद अब चांद-सितारे वाले हरे रंग के झंडों पर रोक लगाए जाने की मांग की गयी है। उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी की जनहित याचिका को स्वीकार करने के साथ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चांद-सितारे वाले हरे झंडे पर रोक की याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में हरे रंग के चांद-सितारों वाले झंडे को पूरे भारत में बैन करने की मांग की गयी है। याचिका में कहा गया है कि ये झंडा पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज से मिलता जुलता है। कुछ मौलवियों ने गलत तरीके से इस झंडे को इस्लाम से जोड़ दिया है, जबकि इसका इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि इस झंडे के कारण अकसर सांप्रदायिक तनाव फैलता है और दो समुदायों के बीच दूरी बढ़ती है. इसलिए इसे बैन कर देना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि इस समय भारतीय मुसलमानों की ओर से इस झंडे का इस्तेमाल एक इस्लामिक झंडे के रूप में किया जाता है। ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का झंडा भी हरे रंग का है और झंडे के बीच में एक आधा चांद और एक सितारा है। पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज भी हरे रंग का है और उसमें एख किनारे सपेद रंग की पट्टी है और हरे हिस्से में चांद और सितारा बना है। यह झंडा आल इंडिया मुस्लिम लीग के झंडे पर ही आधारित है।
याचिका में झंडों के इतिहास के आधार पर कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद अपने कारवां में सफेद या काले रंग के झंडों का इस्तेमाल करते थे। जबकि इस चांद सितारे के हरे झंडे को 1906 में नवाब बकर उल मलिक और मुहम्मद अली जिन्ना ने बनाया था। अब मामले की सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी।