भारतीय किसान यूनियन के नेता Rakesh Tikait ने एक बार फिर कहा कि किसान आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। मोदी सरकार को आगाह करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि अगर तय समय पर किसानों से किए गए वादे पूरे नहीं किए गए तो आंदोलन फिर शुरू हो सकता है। राकेश टिकैत ने यह बात जयपुर में 5वें सूरजमल अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में कही।
Rakesh Tikait ने कहा कि मोदी सरकार ने अभी सिर्फ तीनों कृषि कानून वापस लिए हैं। हमारी मांगके अनुसार उन्होंने अभी तक MSP पर कानून नहीं बनाया है। सरकार ने कमेटी बनाने की बात जरूर कही है लेकिन सरकार का काम बहुत सुस्त है। अगर सरकार ने हमसे किये वादे पूरे नहीं किए गए तो जल्दी ही किसान दोबारा से आंदोलन करेंगे।
Rakesh Tikait ने कहा कि वो किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होंगे
राकेश टिकैत ने पत्रकार वार्ता में कहा कि वह फिलहाल किसी भी राजनीति दल या संगठन में नहीं शामिल होंगे। कांग्रेस के बल पर किसान आंदोलन के चलने की बात पर टिकैत ने कहा कि कि किसान आंदोलन एक दिन का नहीं था, 300 से ज्यादा दिन तक हमारा आंदोलन चला था। हमारे आंदोलन में किसी भी राजनीतिक दल के सपोर्ट नहीं था। हम किसान खुद में सक्षम थे।
आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर अपना विचार रखते हुए Rakesh Tikait ने कहा कि इस बार भाजपा को कोई वोट देने नहीं जा रहा है। उन्होंने दावा कि इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में राज्य का किसान उसी को वोट देगा, जो उसके फायदे का होगा। वहीं यूपी चुनाव में दिनरात लगे ओवैसी पर तंज कसते हुए टिकैत ने कहा कि ये तो भाजपा से भी ज्यादा खतरनाक हैं, लोगों को उनसे सावधान रहना चाहिए।
मालूम हो कि बीते शनिवार को पंजाब के 22 किसान संगठनों ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा का किसी भी चुनाव से कोई मतलब नहीं है।
पंजाब में किसानों ने संयुक्त समाज मोर्चा नामक एक पार्टी का गठन किया है
वहीं पंजाब के किसान संगठनों ने मिलकर संयुक्त समाज मोर्चा नाम से एक पार्टी का गठन किया है। इस पार्टी का नेतृत्व किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल करेंगे। यह पार्टी पंजाब विधानसभा के सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी बनाने के फैसले पर राजेवाल ने कहा कि यह निर्णय पंजाब के लोगों की मांग और भारी दबाव के बाद लिया गया है।
पंजाब चुनाव में जिन किसान संगठनो ने उतरने का फैसला किया है, उसमें कीर्ति किसान संघ, क्रांतिकारी किसान संघ, बीकेयू-क्रांतिकारी, दोआबा संघर्ष समिति, बीकेयू-सिद्धूपुर, बीकेयू-उग्राहां, बीकेयू-अराजनैतिक, किसान संघर्ष समिति और जय किसान आंदोलन शामिल है।
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