झारखंड सरकार ने साहिबगंज और पाकुड़ में असम की तर्ज पर एनआरसी लागू करने के लिए केंद्र से अनुमति मांगी है. झारखंड सरकार के गृह विभाग ने भारत सरकार को इस संबंध में पत्र भेजा है. कहा गया है कि संतालपरगना का साहिबगंज व पाकुड़ जिला बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है. इस कारण इन दोनों जिले में बांग्लादेशी घुसपैठिए के आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
झारखंड सरकार इस मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साहिबगंज और पाकुड़ में असम की तर्ज पर एनआरसी लागू करने के लिए केंद्र से अनुमति नहीं मिलने की स्थिति में झारखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है । मिली जानकारी के अनुसार, सीएम रघुवर दास ने मुख्य सचिव और गृह सचिव को सुप्रीम कोर्ट में असम में चल रहे एनआरसी मामले में झारखंड की ओर से भी इंटरविनर पिटीशन दायर करने को कहा है. सीएम के निर्देश के बाद गृह विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है ।.इसके तहत अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर झारखंड में भी एनआरसी लागू करने की मांग की जायेगी।
.दरअसल, झारखंड सरकार पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से असम की तर्ज पर झारखंड में एनआरसी तैयार करने का आग्रह कर चुकी है. पहला पत्र 10 जनवरी 2018 को झारखंड के गृह विभाग ने भारत सरकार को भेजा. उसके बाद पुन: 25.7.18 को रिमाइंडर भेज एनआरसी लागू करने की अनुमति मांगी है. लेकिन अब तक केंद्र की ओर से कोई आदेश नहीं आया है।
इससे पहले झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने दावा किया था कि झारखंड में 15 लाख बंग्लादेशी अवैध रुप से रह रहे हैं । उनका दावा था कि बंग्लादेशी घुसपैठिये झारखंड में आदिवासी-मूलवासियों की जमीन के साथ-साथ उनके रोजगार के अवसर भी हड़प रहे हैं। श्री गिलुवा ने दावा किया था कि कई जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों ने झारखंडी युवतियों के साथ विवाह कर आदिवासी जमीन अपने नाम से करा ली है।गिलुवा के इस बयान के बाद ही झारखंड में सियासी बवाल मच गया था और अब राष्ट्रीय राजनीति में इस पर बहस शुरु हो गई है ।
एपीएन ब्यूरो रिपोर्ट