Kashmir घाटी में भारतीय सेना ने आतंकियों के खिलाफ चल रहे व्यापक ऑपरेशन के दौरान बीते सोमवार यानी 15 नवंबर को दो आतंकियों के साथ कथिततौर पर दो स्थानीय व्यापारी भी मारे गए। कश्मीर पुलिस का कहना है कि दोनो व्यापारियों के आतंकियों से संबंध थे।
हालांकि यह निष्पक्ष जांच का विषय है लेकिन मामले पर तगड़ी वाली सियासत भी शुरू हो गई है। एक तरफ जहां जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इस मामले में जांच की मांग कर रही हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अल्का लांबा ने भी ट्वीट करते इस मामले में मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की है।
अल्का लांबा ने अपने ट्विटर पर फोटो जर्नलिस्ट बासित जरगर के ट्वीट को साझा करते हुए ट्वीट किया ‘वो नए भारत में इंसाफ माँग रही है’।
दरअसल बासित जरगर ने जो ट्वीट किया है उसमें उन्होंने बताया है कि इस घटना में मारे गये डॉ. मुदासिर गुल की पत्नी अपने 18 महीने के बच्चे को लेकर पुलिस के पास चक्कर लगा रही हैं कि कम से कम एक बार पुलिस उनके पति का चेहरा तो देख लेने दे। परिवार वालों का कहना है कि वो डॉ. मुदासिर गुल का शव लेना चाहते हैं लेकिन पुलिस उनकी लाथ देने से इनकार कर रही है।
मारे गये दोनों व्यापारी दुकान चलाते थे
मारे गए दोनों व्यापारियों की पहचान डॉ. मुदासिर गुल और अल्ताफ भट के रूप में हुई। दोनों की श्रीनगर के हैदरपोरा के वाणिज्यिक परिसर में दुकानें थीं, जहां पर सोमवार शाम मुठभेड़ हुई। मुदासिर ने डेंटल से जुड़ी ट्रेनिंग ली थी और वो कंप्यूटर केंद्र चलाता था, जबकि भट कमर्शियल कॉम्प्लेक्स का मालिक था। साथ ही उसकी हार्टवेयर और सीमेंट की दुकान भी थी।
वहीं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इस मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि निर्दोष नागरिकों को मानव ढाल के रूप में उपयोग करना, उन्हें क्रॉस फायरिंग में मारना और फिर आसानी से उन्हें ओजीडब्ल्यू घोषित करना, भारत सरकार के प्रोसीजर का हिस्सा बन चुका है। सच्चाई को सामने लाने के लिए एक विश्वसनीय न्यायिक जांच जरूरी है।
पुलिस ने व्यापारियों का शव देने से मना कर दिया
परिजन अंतिम संस्कार के लिए शव की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने हालांकि कहा कि कानून और व्यवस्था की स्थिति के कारण शव परिवारों को नहीं सौंपा जा सकते हैं। पुलिस ने कहा कि चारों शवों को श्रीनगर से 100 किलोमीटर दूर उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा इलाके में दफनाया गया।
घटना के बाद कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (IGP) विजय कुमार ने बताया कि मुदासिर का कंप्यूटर सेंटर एक अनधिकृत कॉल सेंटर था, जिसमें छह कंप्यूटर थे। उन्होंने कहा, “हमने मुदासिर और अल्ताफ के परिवारों से दफन में शामिल होने के लिए संपर्क किया। क्योंकि हमें कानून-व्यवस्था की समस्या की आशंका है, इसलिए हम शवों को परिवारों को नहीं सौंप सकते। हम शवों को हंदवाड़ा ले गए और वहां उन्हें दफनाया गया।”
पुलिस ने पत्रकारों से बताया कि मुठभेड़ स्थल से दो पिस्तौल बरामद किए गए हैं और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में चलाए जा रहे कॉल सेंटर का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया गया था। शुरू में पुलिस ने कहा कि दोनों बिजनेसमैन घायल हुए और आखिरकार आतंकवादी गोलीबारी में मारे गए, लेकिन बाद में कहा कि वे क्रॉस फायरिंग में फंस गए होंगे।
क्रॉस फायरिंग में हुई दोनों व्यापारियों की मौत
IG विजय कुमार ने कहा, “मैं कह रहा हूं कि क्रॉस फायरिंग में अल्ताफ मारा गया। मैं यह नहीं कह रहा कि वह आतंकवादियों द्वारा मारा गया था या हमने उस पर गोली चलाई है। मुठभेड़ के दौरान किसकी गोली उन्हें लगी यह जांच का विषय है। अगर उन्हें पिस्टल की गोली लगी है, तो आतंकवादियों ने उन्हें मारा है, अगर AK राइफल से मारे गए है, तो हम कह सकते हैं कि उन्हें हमारी गोली लगी थी।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि सुरक्षा बलों द्वारा संदिग्ध आतंकवादियों को पकड़ने के लिए अभियान शुरू करने के तुरंत बाद काफी तेज फायरिंग शुरू हो गई। अल्ताफ और मुदासिर के परिवारों ने कहा कि उन्होंने कई बार पुलिस थाने के चक्कर लगाए और मांग की कि शव उन्हें वापस कर दिए जाएं लेकिन उन्हें मना कर दिया गया।
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