कहते हैं कि अगर एक-एक रूपया धीरे-धीरे चुराया जाए तो किसी को पता नहीं चलता लेकिन अगर एक साथ एक हजार या एक लाख चुरा लिया जाए तो लोगों को पता लगते देर नहीं लगती। कुछ ऐसा ही अब देश की जनता के साथ किया जा रहा है। देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में उतार-चढ़ाव करके जनता की जेब में सेंधमारी हो रही है और जनता को इसका पता भी नहीं चल पा रहा है। जी हां, देश में पेट्रोल की कीमत में जुलाई से लेकर अबतक 6 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया जा चुका है।
इसी के साथ इस समय पेट्रोल की दर तीन साल के अपने उच्च स्तर पर है। वहीं डीजल की कीमतों पर लागू इस नए नियम के चलते इस दौरान धीरे-धीरे कीमतें 3.67 रुपये बढ़ चुकी है। डीजल की ये कीमतें बीते चार महीनों के दौरान शीर्ष स्तर पर हैं। दरअसल, पेट्रोलियम पदार्थों में डायनमिक प्राइजिंग सिस्टम यानी पेट्रोल–डीजल के मूल्य में प्रतिदिन बदलाव का क्रम केंद्र सरकार ने बीती 16 जून को शुरू किया था। इस सिस्टम से लगा था कि जनता को इस नीति से फायदा मिलेगा लेकिन ऐसा दिख नहीं रहा।
सरकारी तेल कंपनियों ने सरकार के साथ मिलकर इस साल के जून से पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ाने या घटाने के तौर तरीके में बदलाव किया था। पिछले 15 सालों से ये कंपनियां हर प्रंदह दिनों में पेट्रोल, डीजल का मूल्य निर्धारित करती थी। लेकिन जून से डायनमिक प्राइजिंग सिस्टम लागू हो गया। इस सिस्टम से शुरूआती दिन तो जनता को लाभ मिला लेकिन फिर पेट्रोल,डीजल का दाम बढ़ने लगा। 16 जून को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 65.48 रुपये था जो कि 2 जुलाई तक घट कर 63.06 रुपया हो गया था। हालांकि, इसके बाद से एक दो मौकों को छोड़कर मूल्यों में लगातार बढ़ोत्तरी ही हो रही है। इसी तरह डीजल के कीमतों में भी 16 जून से लेकर 2 जुलाई तक गिरावट देखी गई लेकिन इसके बाद से डीजल का दाम 54.49 रुपया से बढ़ कर 57.03 रुपये तक पहुंच गया।