पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में कुलभूषण जाधव के खिलाफ याचिका दायर कर एक व्यक्ति ने तत्काल प्रभाव से फांसी देने की मांग की है।  याचिका में अदालत से अपील की गई है कि पाकिस्तान सरकार को अपने आंतरिक कानून को मानते हुए जाधव के मामले में जल्द फैसला कर फांसी दे देनी चाहिए। यह याचिका मुजामिल अली नाम के एक वकील ने दायर की है। मुजामिल का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट उसकी सजा को उम्रकैद में तब्दील नहीं कर सकती तो उसे फौरन फांसी दे दी जानी चाहिए।

आपको बता दें कि हाल ही में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने जाधव की फांसी को खारिज कर दिया था और इससे पाकिस्तान की खूब फजीहत हुई थी। जिसके बाद ये मामला सामने आया है। मुजामिल की यह याचिका जिस एडवोकेट फारूक नाइक ने दायर की है वह पीपीपी का नेता और पूर्व सीनेट अध्यक्ष है।

याचिकाकर्ता ने अदालत से यह स्पष्ट करने की अपील की है कि जाधव केस में कानून के मुताबिक कार्रवाई की गई और सभी कानूनी प्रक्रियाओं पर अमल किया गया। इतना ही नहीं मुजामिल का कहना है कि भारत की मांगों के मुताबिक जाधव को वकील की सेवा भी उपलब्ध कराई गई थी। इस याचिका में प्रांतीय सरकार, आंतरिक एवं कानून सचिव और पाकिस्तान आर्मी ऐक्ट 1952 के अंतर्गत गठित कोर्ट ऑफ अपील को रिस्पॉन्डेंट बनाया गया है।

जाधव मामले में मुजामिल की दलील है कि  “पाकिस्तान के नागरिकों को ऐसे लोगों से बदला लेने का अधिकार है जो उनके देश के खिलाफ साजिश रचते हैं और  दोषी पाए गए आतंकवादी के अधिकार की तुलना में पाकिस्तानी नागरिकों का यह अधिकार कहीं ज्यादा बड़ा है।”  भारत की हरकतें और आईसीजे  में दी गई  भारत की दलीलों को  2008 में दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन बताते हुए मुजामिल ने इसे  वियना संधि के खिलाफ बताया और कहा   कि पाकिस्तान के अनुसार पाकिस्तान वियना संधि की शर्तें मानने के लिए विवश नहीं है।

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