महाराष्ट्र के कोर्ट-कचहरी और सरकारी दफ्तरों में अब टाइपराइटर की खटर-पटर की आवाज नहीं सुनाई देगी। जी हां, डिजिटल इंडिया और कम्प्यूटर के इस दौर में टाइपराइटर का प्रयोग सरकार के लिए अब घाटे की बात साबित हो रही है। कम्प्यूटर की कीमत इतनी कम हो गई है कि टाइपराइटर का कोई भविष्य बचा ही नहीं है। इसलिए महाराष्ट्र सरकार अब इसका सरकारी प्रयोग बंद करने जा रही है।
महाराष्ट्र में स्टेनोग्राफी की परीक्षा आयोजित कराने वाले राज्य परीक्षा बोर्ड ने शुक्रवार को इसकी आखिरी परीक्षा आयोजित की। इसके साथ ही अब सरकारी नौकरी के लिए उम्मीदवारों को टाइपराइटर परीक्षा से नहीं गुजरना पड़ेगा। महाराष्ट्र में टाइपराइटिंग और शॉर्टहैंड सिखाने वाले लगभग 3,500 इंस्टीट्यूट हैं और इस फैसले से टाइपराइटर से जुड़े इन लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित होगी।
ऐसे ही एक इंस्टिट्यूट से जुड़े अशोक अभ्यंकर ने कहा, ‘यह टाइपराइटिंग युग का अंत है। नई तकनीक और कंप्यूटर के जमाने में टाइपराइटिंग मशीनों का कोई मतलब नहीं रह गया है। कंप्यूटर की कीमत इतनी कम हो गई है कि टाइपराइटर का कोई भविष्य नहीं बचा है।’ उन्होंने डिजिटल इंडिया पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को डिजिटलाइज करने के क्रम में इन टाइपराइटर मशीनों को चलन से बाहर किया जा रहा है।
हम आपको बता दें कि टाइपराइटर का उत्पादन कर रही दुनिया की आखिरी कंपनी गोदरेज एंड बोयस थी, जिन्होंने भारी मन से 2011 में ही इसका उत्पादन नहीं करने का फैसला लिया था। उस समय कंपनी के पास लगभग 200 टाइपराइटर थे जिन्हें वो एंटीक के तौर पर बेच सकती है।
इसी तरह 2013 में पूरे देश से टेलीग्राम सेवा को भी खत्म कर दिया गया था। टेलीग्राम और ग्रामोफोन की तरह अब टाइपराइटर भी हमारे लिए इतिहास बन जाएगा।