रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा सोमवार 3 अक्टूबर को मेडिसिन श्रेणी में स्वीडन के स्वांते पाबो और 4 अक्टूबर को 2022 को एलेन एस्पेक्ट (फ्रांस), जॉन क्लॉसर (अमेरिका) और एंटोन जिलिंगर (ऑस्ट्रिया) को नोबेल (Nobel Prize) प्रदान करने के फैसले की घोषणा के साथ ही स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में नोबेल पुरस्कार सप्ताह 2022 शुरू हो गया है.
नोबेल पुरस्कार 2022 (Noble Prize) की भी शुरूआत हमेशा की तरह चिकित्सा श्रेणी में अवार्ड की घोषणा के साथ हुई है. 1901 में स्थापना के बाद से 2021 तक अलग-अलग क्षेत्रों में कुल 609 बार नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं.

पुरस्कार को तौर पर क्या मिलता है?
प्रत्येक नोबेल पुरस्कार के तहत एक पत्र, स्वर्ण पदक और 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (करीब 7.47 करोड़ रुपये) की राशि प्रदान की जाती है.
किसने की थी शुरूआत?
1833 में स्टाकहोम में जन्मे अल्फ्रेड नोबल जिन्होंने विस्फोटक ‘डायनामाइट’ की खोज भी की थी ने अपनी वसीयत में इस पुरस्कार (Noble Prize) का जिक्र किया था. नोबेल ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उनकी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा एक फंड में रखा जाए और उसके सलाना ब्याज से मानवजाति के लिए उत्कृष्ट योगदान देने वालों को सम्मानित किया जाए.

2022 के लिए क्या है कार्यक्रम
3 अक्टूबर- मेडिसीन (चिकित्सा)
4 अक्टूबर- फिजिक्स (भौतिकी)
5 अक्टूबर- केमिस्ट्री (रसायन)
6 अक्टूबर- साहित्य
7 अक्टूबर- नोबेल शांति पुरस्कार
10 अक्टूबर- इकोनामिक्स (अर्थशास्त्र)
नोबेल पुरस्कार के बारे में
नोबेल पुरस्कार (Noble Prize) सप्ताह 3 अक्टूबर से लेकर 10 अक्टूबर तक चलेगा. इस दौराव 7 दिन में कुल 6 पुरस्कारों की घोषणा की जाएगी. सबसे आखिर में 10 अक्टूबर को अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा की जाएगी.
नोबेल समिति द्वारा इस सप्ताह सिर्फ पुरस्कार जीतने वाले व्यक्ति / व्यक्तियों या संस्थान / संस्थानों के नामों का ऐलान किया जाएगा. वहीं दिसंबर में इन्हें पुरस्कार दिए जाएंगे.
कोविड-19 महामारी की वजह से 2020 और 2021 के पुरस्कार विजेता स्टॉकहोम नहीं पहुंच पाए थे. समिति ने इस बार इन दो साल के विजेताओं को भी स्टॉकहोम बुलाया है. शांति पुरस्कार नॉर्वे में प्रदान किया जाता है जबकि बाकी सभी कैटेगरीज के पुरस्कार स्टॉकहोम में दिए जाते हैं.
स्वीडन के सावन्ते पाबो को चिकित्सा का नोबेल
इस साल मेडिसिन कैटेगरी का पुरस्कार स्वीडन के ही स्वांते पाबो को दिया गया है. उन्हें यह पुरस्कार जीनोम और मानव विकास से संबंधित अनुसंधान के लिए दिया गया है.
1955 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में जन्मे स्वांते फिलहाल जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ इवॉल्यूशन एंथ्रोपोलॉजी से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा वो ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी जापान का भी हिस्सा हैं.

भौतिकी का नोबेल
रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने 2022 के भौतिकी में नोबेल पुरस्कार को एलेन एस्पेक्ट (फ्रांस), जॉन क्लॉसर (अमेरिका) और एंटोन जिलिंगर (ऑस्ट्रिया) को प्रदान करने का फैसला लिया है. इन तीनों ने उलझी हुई क्वांटम अवस्थाओं का उपयोग करते हुए अभूतपूर्व प्रयोग किए जिसके चलते जहां दो कण अलग होने पर भी एक इकाई की तरह व्यवहार करते हैं. इनके परिणामों ने क्वांटम सूचना पर आधारित नई तकनीक का रास्ता साफ कर दिया है.
अर्थशास्त्र का नोबेल
1969 में स्थापित इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को अधिकारिक रूप से नोबेल पुरस्कार स्वीरिजेज रिक्सबैंक पुरस्कार इन इकोनॉमिक साइंसेज इन मेमोरी ऑफ अल्फ्रेड नोबेल (Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel) के तौर पर जाना जाता है.
स्वेरिजेस रिक्सबैंक (Sveriges Riksbank) जो स्वीडन का केंद्रीय बैंक (जैसे भारतीय रिजर्व बैंक) है, ने वर्ष 1968 में नोबेल पुरस्कार के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में ‘आर्थिक विज्ञान’ (Economic Science) में पुरस्कार की स्थापना की थी.
यह पुरस्कार वर्ष 1968 में बैंक की 300वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्वीरिजेज रिक्सबैंक (स्वीडन के केंद्रीय बैंक) से नोबेल फाउंडेशन द्वारा प्राप्त दान पर आधारित है और इसकी पुरस्कार राशि 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 7.43 करोड़ रुपए) है.
वे भारतीय जिनको मिला नोबेल पुरस्कार
भारतीय कवि और लेखक रवींद्रनाथ टैगोर को साल 1913 में उनकी रचना ‘गीतांजलि’ के लिए साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दिया गया था. रवींद्रनाथ टैगोर ये पुरस्कार पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय और भारतीय थे. टैगोर को मिला ये नोबेल पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में भारत को मिला एकमात्र नोबेल है.
1930 में भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन को “प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये और उनके नाम पर प्रभाव की खोज के लिये” भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इस घटना को अब रमन प्रभाव के रूप में जाना जाता है.

वर्ष 1968 में हर गोबिंद खुराना को रॉबर्ट डब्ल्यू हॉली और मार्शल डब्ल्यू निरेनबर्ग के साथ सयुंक्त रूप से “प्रोटीन संश्लेषण में आनुवंशिक कोड और इसके कार्य की व्याख्या के लिये” चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
वर्ष 1979 में मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. वह एक रोमन कैथोलिक नन थीं जो अल्बानिया में पैदा हुई थीं. उन्होंने कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की और अपना सारा जीवन गरीबों की सेवा में लगा दिया. वह भारतीय नागरिक भी बनीं. उन्हें “पीड़ित मनुष्यों की मदद करने” के लिये पुरस्कार मिला. मदर टेरेसा को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था.

भारतीय भौतिक विज्ञानी सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को वर्ष 1983 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया, उन्हें यह पुरस्कार भौतिक विज्ञानी विलियम अल्फ्रेड फाउलर के साथ संयुक्त रूप से मिला था. उन्हें “तारों की संरचना और विकास के लिये महत्त्वपूर्ण भौतिक प्रक्रियाओं के सैद्धांतिक अध्ययन के लिये” सम्मानित किया गया था.
1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में स्वीरिजेज रिक्सबैंक पुरस्कार (Sveriges Riksbank Prize) प्रदान किया गया. उन्हें “कल्याणकारी अर्थशास्त्र में उनके योगदान के लिये” (Welfare Economics) पुरस्कृत किया गया था.
भारत के वेंकटरामन रामकृष्णन को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में पहला नोबेल पुरस्कार मिला. उन्हें यह पुरस्कार राइबोसोम की संरचना और इस कार्य के अध्ययन के लिये वर्ष 2009 में दिया गया था. वेंकटरामन को यह पुरस्कार थॉमस ए स्टिट्ज और एडा ई योनथ के साथ सयुंक्त रूप से दिया गया.
भारत के बाल अधिकार (Child Rights activist) कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai) को वर्ष 2014 में संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था. उन्हें यह पुरस्कार “बच्चों और युवाओं के दमन के खिलाफ उनके संघर्ष के लिये एवं सभी बच्चों की शिक्षा के अधिकार” के लिये दिया गया था.
वर्ष 2019 में भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee), एस्थर डुफ्लो (Esther Duflo) और माइकल क्रेमर (Michael Kremer) को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में सयुंक्त रूप से नोबेल पुरस्कार दिया गया था. तीनों को “वैश्विक गरीबी को कम करने के लिये प्रायोगिक दृष्टिकोण (Experimental Approach to Alleviating Global Poverty)” विषय पर विस्तृत शोध के लिये यह पुरस्कार दिया गया था.
प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जाते है.