देश में कोरोना कहर मचा रहा है। राज्यों में लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू लगाए जा रहे हैं। घर से निकलते समय लोगों के जहन में कोरोना का खौफ दिख रहा है। पर इन सब से इतर किसान आंदोलन जस का तस चल रहा है। गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघू बॉर्डर पर किसान तीन कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।

किसानों का आंदोलन तो 28 नवंबर से ही चल रहा है। पर धरना स्थल पर किसानों की संख्या कम हो गई है। बढ़ती गर्मी और कोरोना ने किसानों के हौसलों को पस्त कर दिया है। बॉर्डर पर राकेश टिकैत भी भीड़ जुटाने में असफल हो रहे हैं।

आंदोलन चल नहीं रेंग रहा है। शुरूवाती समय में सरकार भी इसे खत्म करने का प्रयाश कर रही थी। इसे लेकर सरकार और किसानों के बीच 9 दौर की वार्ता भी हुई। पर बात नहीं बनी। लेकिन अब बीजेपी सरकार किसानों को छोड़ चुनाव में व्यस्त है। किसान आंदोलन की तरफ सरकरा का ध्यान आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में महापंचायत हो रही है। पर सरकार किसान आंदोलन को लेकर कुछ नहीं बोल रही है।

धरने में शामिल किसानों का मनोबल शायद इसिलए टूटने लगा है कि, आंदोलन को लेकर कोई प्रतिक्रिया सरकार के तरफ से नहीं पेश की जा रही है आखिर कब तक यू धूप, कोरोना, ठंड और बरसात में सड़कों पर बैठना पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि, यही मुख्य कारण है जिससे किसान धरना स्थल छोड़ भाग रहे हैं।

जो बॉर्डर किसानों की भारी संख्या से गुलजार था वो अब सुना-सुना दिख रहा है। इस सुनेपन को भरने के लिए भारतीय किसान यूनियन के किसान नेता राकेश टिकैत और अध्यक्ष नरेश टिकैत पूरी कोशिश कर रहे हैं। गांव – गांव पंचायत हो रही है। पंचायत के शुरूवात दौर में भारी भीड़ दिख रही थी पर अब किसान नहीं दिख रहे हैं। किसान कुछ इसकदर हताश हुए हैं कि, उन्हें उनके नेता भी नहीं मना पा रहे हैं। कुछ इसी तरह का नजारा 4 अप्रैल को गाजीपुर बॉर्डर पर देखने को मिला। यहां पर भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत महापंचायत करने आए थे। इस पंचायत में मुश्किल से 1200-1500 किसान शामिल हुए थे।

किसानों की घटती संख्या देखकर नरेश टिकैत भावुक हो गए। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से आग्रह किया कि, जो लोग इस आंदोलन को छोड़ कर जा चुके हैं मैं उनसे उम्मीद करता हूं कि, वे आंदोलन को फिर से ताकत दें, कहीं ऐसा न हो कि, इतिहास उन्हें गलत साबित कर दे।

प्रदर्शन को लेकर आशंकाएं और चिंता उनके चेहरों पर साफ दिखी। रविवार को हुई पंचायत में भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत की मौजूदगी के बावजूद किसानों की भीड़ नहीं जुटी। इस दौरान मात्र हजार-बारह सौ की भीड़ रही। इसमें ज्यादातर पंचायत चुनाव के फायदे की संभावना लेकर पहुंचे। अब सवाल लगातार उठ रहा है कि, क्या किसानों का मनोबल टूट गया है जिसे उनके नेता भी नहीं जोड़ पा रहे हैं।

बता दें कि 28 नवंबर, 2020 को जब तीनों केंद्रीय कृषि बिलों के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू हुआ तो चारों बॉर्डर (टीकरी, सिंघु, शाहजहांपुर और गाजीपुर) पर लाखों किसानों की भीड़ जुटी हुई थी। वहीं, 26 जनवरी को दिल्ली में लाल किला पर हुई हिंसा के बाद किसानों की भीड़ घटने लगी। 

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