साल 2021 का संसद का मॉनसून सत्र काफी हंगामे की बीच चल रहा है। विपक्ष के सवालों की बाढ़ में सदन की कार्यवाही को बार बार स्थगित करनी पड़ रही है। किसान आंदोलन, महंगाई, पेगासस जासूसी विवाद को लेकर विपक्षी दल सदन में भयंकर हंगामा कर रहे हैं। मोदी सरकार के लिए चिंता बढ़ती जा रही है। सदन की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ रही है।
सरकार उन छह अहम अध्यादेशों को लेकर काफी परेशान है जिसे संसद में पेश करना बेहद अहम है। इस अध्यादेशों को कानूनी रुप देने के लिए केंद्र बेचैन है। इनकी बेचैनी को विपक्षी दल बढ़ाते जा रहे हैं क्योंकि हंगामे के सिवा सदन में कुछ हो नहीं पा रहा है।
इस सत्र में अगर अध्यादेशों पर मुहर नहीं लगती है तो इसकी वैधता खत्म हो जाएगी। सरकार ने फैसला किया है कि हंगामे के बीच इस बिल को पेश करने का रस्ता निकाला जाएगा।
इस बार मोदी सरकार के एजेंडे में 29 बिल हैं। इनमें सरकार को छह अध्यादेशों को बिल के रूप में पेश करना है। इसके अलावा, सरकार को दो अनुदान मांगों पर भी संसद की मुहर लगवानी है। इनमें से अध्यादेश से जुड़ा महज एक आवश्यक रक्षा सेवा बिल भी महज लोकसभा में पेश हो पाया है।
बाकी के अध्यादेश से जुड़े पांच बिल दिवाला और दिवालियापन संहिता संशोधन बिल, इंडियन मेडिसिन सेंट्रल काउंसिल संशोधन बिल, होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल एमेंडमेंट बिल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग बिल, ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) बिल के साथ दो अनुदान मांगों को सरकार पेश भी नहीं कर पाई है।
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बता दें कि सदन में शांति बहाली के लिए राज्यसभा के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी। हालांकि, इस बैठक से कांग्रेस, तृणमूल, राजद, वामपंथी पार्टियों सहित कई दलों ने दूरी बना ली। मुश्किल यह है कि दोनों ही सदनों की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सभी दल विभिन्न विषयों पर चर्चा और विधायी कार्य में सहयोग देने के लिए राजी हुए थे। हालांकि, सदन में विपक्ष बीते चार बैठकों से हंगामा कर रहा है।
19 जुलाई से चलने वाला सत्र 13 अगस्त तक चलेगा। कोरोना की दूसरी लहर के बाद यह पहला सत्र है। मॉनसून सत्र में 23 अहम बिल को पेश किया जाएगा। इसबार सेशन में 31 बिजनेस, 6 ऑर्डिनेंस और 23 बिल महत्वपूर्ण हैं दूसरी ओर विपक्ष तीखे सवालों के साथ सत्र में हिस्सा लेगा।