प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार देश में हर साल होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के कार्यक्रम में बड़ा बदलाव करते हुए कार्यक्रम का आयोजन 24 जनवरी से न शुरू करके उससे एक दिन पहले से यानी Netaji के जन्मदिन से शुरू करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में स्वयं इस बात की जानकारी दी है। पीएम मोदी ने देश की जनता को इस महत्वपूर्ण निर्णय के बारे में बताते हुए कहा कि सरकार ने Netaji सुभाष चंद्र बोस की जयंती को गणतंत्र दिवस समारोह के जश्न में शामिल करने का निर्णय लिया है।
मोदी सरकार पहले से Netaji का जन्मदिन ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाती है
वहीं इस ऐलान से पहले सरकारी सूत्रों से जो जानकारी मिली उसके अनुसार मोदी सरकार ने नेता जी से जुड़े भारतीय इतिहास के अहम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।

वैसे इससे पहले से केंद्र की मोदी सरकार Netaji सुभाष चंद्र बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाती आ रही है।
इसके साथ ही सूत्रों ने यह भी बताया कि अन्य महत्वपूर्ण दिवस जो हर साल मनाए जाने का फैसला लिया गया है, उनमें 14 अगस्त को विभाजन विभिषिका स्मरण दिवस, 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाती है।
इसके अलावा मोदी सरकार 15 नवंबर को बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर जनजातीय दिवस, 26 नवंबर को संविधान दिवस और 26 दिसंबर को सिखों के 10वें गुरु गुर गोविंद सिंह के चार पुत्रों की याद में वीर बाल दिवस प्रमुख हैं।

साल 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आयी तब से सरकार सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रही है। सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार का यह फैसला भारत के इतिहास और संस्कृति से जुड़ी बड़ी हस्तियों को याद करने के लिहाज से उठाया गया है।
गौरतलब है कि Netaji सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मााता का नाम प्रभावती देवी था। सुभाष बाबू के पिता जानकी नाथ बोस कटक के मशहूर वकील थे।
जानकी नाथ बोस पहले सरकारी वकील थे, मगर बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। वकील पिता ने सुबाष बोस को अच्छी शिक्षा दी। सुभाष ने कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्त्र में ग्रेजुएशन किया। साल 1919 में वे अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा (ICS) की तैयारी के लिए इंग्लैंड पढ़ने गए थे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को ‘आजाद हिंद फौज’ के नेतृत्वकर्ता के तौर पर जाना जाता है। सुभाष बाबू का प्रसिद्ध नारा है ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’। कहा जाता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 18 अगस्त, 1944 को जापान जाते हुए ताइवान में एक विमान हादसे में मृत्यु हो गई थी।
वहीं कुछ हल्कों में कहा जाता है कि सुभाष चंद्र बोस जिंदा थे और अमेरिका, इंग्लैंड से बचने के लिए भूमिगत हो गये थे। साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 100 गोपनीय फाइलों का डिजिटल संस्करण सार्वजनिक किया।

नेताजी से संबंधित यह फाइलें दिल्ली के राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) में रखी हुई हैं। सुभाष चंद्र बोस को असाधारण नेतृत्व कौशल और आजाद हिंद फौज के जरिये अंग्रेजों से संघर्ष करने वाले के तौर पर याद किया जाता है।
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