Mayawati: उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी, सपा, AIMIM सहित कई पार्टियां लगातार रैलियां और जनसभाएं कर रही हैं। वहीं बसपा सक्रिय मोड में नजर नहीं आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव आदि नेताओं की तुलना में बसपा प्रमुख मायावती अभी तक पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में नहीं आई हैं।

Mayawati बोलीं- रैलियां करेने से बढ़ेगा आर्थिक बोझ
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब सारे राजनीतिक दल ताबड़तोड़ चुनावी रैलियों में व्यस्त हैं तो मायावती क्यों रैली और जनसभाएं नहीं कर रही हैं? अब इस सवाल का जवाब मिल गया है। मायावती ने खुद इसकी वजह बताई है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी गरीबों की पार्टी है, उनके पास अन्य पार्टियों की तरह धन नहीं है और अगर वह रैलियां करेंगी तो आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। इसलिए बसपा अन्य पार्टियों की नकल नहीं कर रही और ताबड़तोड़ रैलियां नहीं कर रही है।

उन्होंने कहा कि चुनाव की तैयारी को लेकर उनकी पार्टी की अलग कार्यशैली है। जिसे वो बदलना नहीं चाहती हैं। उन्होने विपक्षी पार्टियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि दूसरी पार्टियों को उनकी चिंता नहीं करनी चाहिए।
Mayawati ने बीजेपी पर साधा निशाना
मायावती ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब बीजेपी की सरकार केंद्र और राज्यों में होती है तो ये पार्टियां चुनाव की घोषणा होने से लगभग दो महीने पहले से ही खूब ताबड़तोड़ हवा-हवाई घोषणाएं, शिलान्यास और उद्घाटन आदि करती है। मायावती ने आगे कहा कि लोकार्पण की आड़ में सरकारी खर्चे से अपनी खूब चुनावी सभाएं करती है।
सरकारी पैसे को पानी की तरह बहाया जा रहा है। ठंड में जो गर्मी चढ़ी है। वो गरीब के पैसे की ही गर्मी चढ़ी है। वो सरकारी खजाने की ही गर्मी चढ़ी है। सत्ता में पार्टी में नहीं होती तब ये ताबड़तोड़ जनसभा नहीं कर पाती।

बसपा प्रमुख मायावती ने 5 राज्यों में होने जा रहे चुनाव को लेकर मतदाताओं को आगाह किया है। उन्होंने कहा कि अपनी चेतना को जागृत करके वोट करें जिससे बुरे दिन से मुक्ति पाकर थोड़े अच्छे दिन आ सके। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति, एक वोट ऐसा हथियार है जिससे जन विरोधी सरकारों को लोकतांत्रिक सजा दी जा सकती है।
बता दें कि मायावती ने वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन के दौरान भगदड़ के दौरान श्रद्धालुओं की मौत पर संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस हादसे में सरकार की लापरवाही नजर आती है।
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