Chandrashekhar Azad Martyrdom Day: रविवार को हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का शहादत दिवस है। उनकी पुण्य तिथि पर पूरा देश उनके त्याग और बलिदान को याद कर रहा है। चंद्रशेखर आजाद के जज्बे और बहादुरी को सलाम करते हुए Bollywood फिल्मों के गीतकार Manoj Muntashir ने एक बहुत ही शानदार कविता ‘जियो तिवारी जनेऊधारी’ सोशल मीडिया पर पोस्ट की है।
मनोज मुंतशिर की कविता ‘जियो तिवारी जनेऊधारी’
मलते रह गए हाथ शिकारी, उड़ गया पंछी तोड़ पिटारी।
अंतिम गोली खुद को मारी, जियो तिवारी जनेऊधारी।।
भारत मां का राजदुलारा, एक के बदले दस को मारा।
बहरे हो गए गोरे जब वो, हर-हर महादेव हुंकारा।।
छोड़ अहिंसा की रट-बाजी, सब को ठोंका बारी-बारी।
जियो तिवारी जनेऊधारी।

काया से जैसे बजरंगी, शिव के जैसा क्रोध भुजंगी।
तीसरी आंख खुली तो कांपे, थर-थर, थर-थर दुष्ट फिरंगी।।
अंगेजों के शव पे नाचा, नीलकंठ का वो अवतारी।
जियो तिवारी जनेऊधारी।

देश के दुश्मन कान लगाये, सुनो जो पंडित-पुत्र सुनाये।
गाड़ दिए जाओगे जिंदा, अगर जनेऊ से टकराये।।
दुर्वासा के श्राप से डरना, जनहित में चेतावनी जारी।
जियो तिवारी जनेऊधारी।
Chandrashekhar Azad पर कविता का नाम ‘जियो तिवारी जनेऊधारी’ क्यों रखा गया
चंद्रशेखर आजाद के ऊपर लिखी कविता का नाम ‘जियो तिवारी जनेऊधारी’ मनोज मुंतशिर ने क्यों रखा है। इसका जवाब गीतकार ने ट्वीट करते हुए दिया, ”अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के शौर्य को समर्पित मेरे शब्द, आपके हवाले। कुछ लोगों को आपत्ति है कि मैं उन्हें ‘तिवारी’ और ‘जनेऊधारी’ क्यों कहता हूं। मेरा उत्तर है, क्योंकि वो तिवारी थे और बड़े गर्व से जनेऊ धारण किया करते थे।”
उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा, ”बलिदान अपने आप में एक धर्म है, लेकिन बलिदानी होने के लिए अपने जन्मजात धर्म का त्याग करना आवश्यक नहीं है। मुझे गर्व है, कि मैंने उस ब्राह्मण कुल में जन्म लिया, जहां चंद्रशेखर आज़ाद जैसे पूर्वज हुए हैं।” बता दें कि आज गीतकार मनोज मुंतशिर का जन्मदिन है और उन्होंने अपना जन्मदिवस अमर बलिदानी चंद्रशेखर आज़ाद को समर्पित करा है।
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