दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने अब निरस्त की जा चुकी शराब आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने पिछले हफ्ते सुनवाई की आखिरी तारीख को अदालत के निर्देशानुसार केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने संक्षिप्त लिखित प्रस्तुतियां और संबंधित निर्णय प्रस्तुत करने के बाद जमानत पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने इस मामले में एक केस डायरी और कई गवाहों के बयान भी पेश किए।
सिसोदिया ने अपनी जमानत याचिका में पहले कहा था कि उन्हें हिरासत में रखने का कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि मामले से संबंधित सभी बरामदगी पहले ही की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा बुलाए जाने पर वह जांच में शामिल हुए। अब सिसोदिया हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
2022 में नवंबर में लाई गई थी दिल्ली आबकारी नीति
दिल्ली आबकारी नीति पिछले साल 2022 में नवंबर में लाई गई थी। समीर महेंद्रू का इस नीति को लाने में अहम योगदान है। नीति में कई तरह के कथित खामियों और गड़बड़ी के चलते दिल्ली के उपराज्यपाल ने कथित अनियमितता मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी
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Liquor Policy Case: ‘जासूसी कांड’ में भी फंसे Manish Sisodia
मालूम हो कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मनीष सिसोदिया और पांच अन्य के खिलाफ ‘फीडबैक यूनिट’ में FIR दर्ज की है। सीबीआई ने मनीष के खिलाफ जासूसी कांड में मामला दर्ज किया है। जानकारी के मुताबिक, साल 2015 में आम आदमी पार्टी ने एक फीडबैक यूनिट तैयार की थी। इस यूनिट के माध्यम से लोगों की जासूसी कराई गई। आरोप है कि इसे तैयार करते वक्त एलजी की सहमति भी नहीं ली गई थी।
बता दें कि 22 फरवरी को, केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के विभाग के माध्यम से ‘राजनीतिक खुफिया जानकारी’ एकत्र करने के आरोपों पर आम आदमी पार्टी के नेता के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए केंद्रीय एजेंसी को मंजूरी दे दी थी।
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