मनीष सिसोदिया को जमानत मिलेगी या नहीं? 24 मार्च को होगी सुनवाई

मामले में CBI सिर्फ मनीष को परेशान कर रही है।- वकील

0
83
Manish sisodia top update today
manish sisodia

Manish Sisodia: दिल्ली की नई शराब नीति घोटाला मामले में CBI द्वारा दर्ज मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत का मामला। राउस एवेन्यू कोर्ट में आज मनीष सिसोदिया की तरफ से वकील दयान कृष्ण ने दलील देते हुए CBI की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा वह कानून के दायरे में काम नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा उनका मोबाइल फोन सीज हो चुका है। अन्य फोन सेट को लेकर हम जवाब दे चुके हैं। वही CBI से जो डिवाइस मिले है उसमें सीधे तौर पर मनीष के खिलाफ कुछ नही मिला है। हमारी अपील है कि अब जमानत पर रिहाई का आदेश दिया जाए।वैसे भी आबकारी CBI के मामले में सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकीं है।

manish sisodia
manish sisodia

Manish Sisodia के वकील ने ट्रिपल टेस्ट का किया जिक्र

वकील दयान ने कहा कि इस मामले में CBI सिर्फ मनीष को परेशान कर रही है। उनके पास इस मामले में अब कुछ नया नही है। उन्होंने कहा उपराज्यपाल द्वारा CBI को जांच सौपे जाने वाले दिन मोबाईल फोन का बदला जाना सिर्फ एक इत्तफाक भर है। इस मामले में दो पब्लिक सर्वेंट भी आरोपी है।जिनको गिरफ्तार भी नहीं किया गया और उनको ज़मानत मिल चुकी है। ऐसे ही सिसोदिया भी एक पब्लिक सर्वेंट ही हैं। उनको भी जमानत दी जानी चाहिए।

सिसोदिया की ओर से वकील दयान कृष्ण ने चिदंबरम मामले का हवाला देते हुए ट्रिपल टेस्ट की बात भी कही। उन्होंने कहा कि अब गवाहों को प्रभावित करने की दलील भी निष्प्रभावी है। इसके अलावा उन्होंने हमेशा जांच एजेंसी का सहयोग भी किया है। हालांकि जब भी जांच एजेंसी की समन पर नहीं पहुंच सका उसके लिए मैंने एजेंसी को उचित कारण भी बताएं।उन्होंने कहा इस मामले में CBI ने जांच की लेकिन गिफ्तारी कब की है? यह भी एक विषय सोचने वाला है।

वह अकेले ही आरोपी है जो CBI मामले में न्यायिक हिरासत में है।दूसरी तरफ सिसोदिया की पत्नी मल्टीप्ल डिजीज से जूझ रही है। उनका मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में जमा की जा चुका है। उनकी देखभाल करने के लिए और कोई नही है। इस आधार पर भी सिसोदिया को जमानत दिया जाना चाहिए।

मोहित माथुर अब सिसोदिया की ओर से बहस कर रहे हैं।रिमांड अर्जी में सीबीआई लगातार एक ही बात और आधार बताती रही। अब उनको न्यायिक हिरासत में रखना उचित नहीं है। मनीष सिसोदिया की ओर से कहा गया कि वह एक जिम्मेदार व्यक्ति है।वह एक प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री है।उनका परिवार दिल्ली में रहता है। उनके देश छोड़ने का सवाल ही नही है।ऐसे में अदालत को जमानत पर विचार करने की जरूरत है।

अब CBI की ओर से दलील देते हुए डी पी सिंह ने कहा कि सिसोदिया 18 मंत्रालय देख रहे थे। जिसमें शिक्षा विभाग के साथ वित्त और आबकारी विभाग भी था। उनको सारी जानकारी थी।एक्साइज विभाग के अधिकारी रवि धवन की एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट देखकर डिस्टर्व हो गए क्योकि उन्होंने ही आबकारी मामले में एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को तैयार किया था। इस मामले में सीधे तौर पर लोगो फायदा पहुचाना था।दिल्ली आबकारी मामले में जब सरकार आबकारी नीति में बदलाव कर रही थी। तो प्राइवेट पार्टी ने तीन बड़े क़ानून विद से सुझाव लिया था।जिसमे दो पूर्व CJI जस्टिस रंजन गोगई और जस्टिस के जी बलाकृष्णन और भारत के पूर्व अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से भी सलाह ली गई थी।

CBI ने कहा इस मामले में एक्सपर्ट कमेटी में काम करने वाले राहुल सिंह ने तीन बड़े कानून विद के द्वारा दिए गए सुझाव को आबकारी नीति के मामले में शामिल किया था लेकिन वह फ़ाइल गायब कर दी गई। जिसके बाद मनीष सिसोदिया ने राहुल सिंह को हटाकर उनकी जगह संजय गोयल को बैठाया।।संजय गोयल ने मामले में ली गई तीनो कानूनी राय को एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट में शामिल नही किया और फ़ाइल आगे बढ़ा दिया। यह सब बदलाव मनीष सिसोसदिया के कहने पर किए गए।CBI ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि भले ही सिसोदिया का देश छोडकर भागने का खतरा न हो लेकिन जमानत के3 बाद गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।

CBI ने कहा जब पालिसी पर फैसला लिया गया तो उसका मिनट्स ऑफ मीटिंग भी नही है।कोर्ट ने पूछा कैबिनेट नोट या मामले की पूरी फाइल ट्रेस नहीं हुई? वकील डीपी सिंह ने जवाब दिया इस तरह की कोई फाइल मौजूद नहीं है। केवल मोबाइल फोन ही नहीं बल्कि फाइलें भी नष्ट कर दी गईं।जब यह सब सारी बातें सामने आईं तो फिर से मंजूरी लेने की भी कोशिश की गई। उसपर उराज्यपाल ने कहा था कि वह निर्णय नहीं लेंगे। इसपर निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा लिया जाएगा।CBI ने कहा उन्होंने जांच बूझ कर सबूतों को मिटाया क्योकि उनको पता था कि आबकारी नीति में गड़बड़ी हुई है।आबकारी नीति में बदलाव जान बूझ कर किया गया क्योकि इस बदलाव के पीछे एक मकसद था।

CBI ने कहा उराजपाल ने 19 मई 2021 को 7 सुझाव दिए थे। 20 तारीख को उन्होंने चर्चा शुरू की और सुझाए गए बदलावों को शामिल भी किया। यह मंज़ूरी दी गई थी कि फ़ैसला मंत्रिपरिषद द्वारा लिया जाएगा, उपमुख्यमंत्री अकेले कोई फैसला नहीं लेंगे। बावजूद इसके उन्होंने ऐसा किया।CBI ने कहा इस मामले में अगर मनीष सिसोदिया को जमानत दी जाती हैं तो अपने पद की वजह से आसानी से सबुतो के साथ।छेड़छाड़ कर सकते हैं।

CBI की ओर से डीपी सिंह ने मोबाईल फोन नष्ट करने के मामले में कहा कि 2021 के उन अहम चार महीनों में चैट हो रही थी और इसलिए बार-बार फोन बदल रहे थे।CBI ने कहा 14 से 17 मार्च 2021 के बीच साउथ ग्रुप दिल्ली आया और ओबेरॉय होटल में ठहरा हुआ था।इन लोगों ने होटल का कांफ्रेंस रूम बुक कर लिया। जहा पर मीटिंग कर नोट तैयार कर उसकाप्रिंट आउट भी निकाला गया।उन 36 पेज का बिल भी हमारे पास है।

CBI की ओर से वकील डीपी सिंह ने कहा जब हमने 15 फरवरी को उनके कंप्यूटर की जांच की तो कंप्यूटर पर एक नोट तैयार किया गया था। जिसमे से दो महत्वपूर्ण बातें पता चली पहली कि कमीशन 5 प्रतिशत और थोक विक्रेताओं के लिए पात्रता की आवश्यकता 100 करोड़ की थी।65 फीसदी मैन्युफैक्चरिंग दो बड़ी कंपनियों का है। जिसपर साउथ ग्रुप का कब्जा है।

CBI ने अपनी की दलील पूरी करते हुए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध किया।मनीष सिसोदिया को जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए एजेंसी ने कहा कि सिसोदिया एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और एक महत्वपूर्ण पद पर बैठे हैं ऐसे में अगर वह बाहर रहते हैं तो जांच को प्रभावित कर सकते हैं साथ ही मामले से जुड़े सबूतों के साथ भी छेड़छाड़ कर सकते हैं।

सिसोदिया की ओर से जवाबी दलील देते हुए कहा वकील दयान कृष्णन ने कहा कि कोर्ट और जांच एजेंसियां किसी भी सरकार की बनाई गई हुई नीति की जांच या समीक्षा नहीं कर सकती।इसके अलावा कोर्ट इस आधार पर भी किसी सरकारी नीति में दखल नहीं दे सकती है उसमें कोई गलती हुई है।कोर्ट का काम सिर्फ यह देखना है कि किसी भी सरकारी नीति से किसी भी नागरिक का कोई मूल अधिकार प्रभावित तो नहीं हो रहा है।

जहां तक मनीष सिसोदिया के पास विभागों की बात है दिल्ली विधानसभा में सिर्फ 7 मंत्री हो सकते हैं। ऐसे में मनीष सिसोदिया द्वारा इतने मंत्रालयों का होना स्वाभाविक ही है। इसको किसी अपराध या साजिश के तौर पर नहीं देखा जा सकता है।वकील कृष्णन ने कहा जब मनीष सिसोदिया मंत्री पद पर थे तब CBI ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। अब तो वो पद पर भी नहीं तो उन्हें हिरासत में रखने का कोई मतलब नहीं है।

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत के मामले पर राउज एवेन्यू कोर्ट अब 24 मार्च को सुनवाई करेगा। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री पर दिल्ली की नई आबकारी नीति से जुड़े ED के मामले में सिसोदिया की जमानत की मांग करते हुए राउस एवेन्यू कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई। राउस एवेन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत की मांग वाली याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय को जारी किया नोटिस। राउस एवेन्यू कोर्ट 24 मार्च को सुबह साढ़े दस बजे मामले पर सुनवाई करेगा ।

यह भी पढ़ेंः

“केंद्र सरकार में ऊपर से नीचे अनपढ़ों की जमात”, CM केजरीवाल ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

दिल्ली विधानसभा से BJP विधायक विजेन्द्र गुप्ता एक साल के लिए सस्पेंड, स्पीकर ने इस कारण लिया एक्शन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here