मणिपुर में करीब चार महीने से चल रही यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) की आर्थिक नाकाबंदी रविवार रात से खत्म हो गई है। ये फैसला केंद्र सरकार राज्य सरकार और नगा संगठनों के बीच हुई बातचीत के बाद लिया गया है। गौरतलब है कि कांग्रेस सरकार में सात नए जिले बनाये जाने के फैसले के खिलाफ यूएनसी ने एक नवंबर, 2016 को आर्थिक नाकाबंदी शुरू की थी।

रविवार को हुई बातचीत के बाद सभी पक्षों का साझा बयान जारी हुआ। बयान के मुताबिक यूएनसी के गिरफ्तार नेता बिना शर्त रिहा किये जाएंगे और नगा कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे भी वापस होंगे। बयान पर केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग, मणिपुर के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सुरेश बाबू, आयुक्त (निर्माण) राधाकुमार सिंह, यूएनसी के महासचिव एस. मिलन और ऑल नगा स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सेठ शतसंग ने हस्ताक्षर किये।

इससे पहले रविवार को केंद्र, राज्य और नगा समूहों की बातचीत के बाद एक आधिकारिक बयान में नाकेबंदी खत्म किए जाने की बात कही गई थी। समझौते के बाद न्यायिक हिरासत में चल रहे यूएनसी के अध्यक्ष गाइडॉन कामेई और प्रचार सचिव एस स्टीफेन के जल्द रिहा होने की उम्मीद है।

नाकाबंदी खत्म होना मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के लिए एक कामयाबी के तौर पर है। समझौते के बाद उन्होंने कहा कि नाकाबंदी मणिपुर के विकास का आगाज भर है। उनकी सरकार राज्य के लोगों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए वादों को पूरा करने की कोशिश कर रही है। वहीं, राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने उम्मीद जताई कि नाकाबंदी खत्म होने के बाद राज्य में शांति और खुशहाली आएगी।

नगा संगठनों की नाकेबंदी के कारण 1 नवंबर, 2016 से NH-2 और NH-37 जाम था। जिस वजह से आवश्यक वस्तुओं की किल्लत बढ़ गई थी और सामान्य जन-जीवन भी काफी प्रभावित हो रहा था।

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