पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का कहना है कि वे भी सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाए जाने से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘ पंजाब की तरह, हम भी बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विरोध कर रहे हैं जिसे हाल ही में बढ़ाया गया है। हमारे सीमावर्ती इलाके पूरी तरह शांतिपूर्ण हैं। लॉ एंड ऑर्डर पुलिस का विषय है। यह अशांति पैदा करेगा। राज्य सरकार राज्य के कानूनों के मुताबिक ही काम करेगी।’
पंजाब सीएम ने किया था विरोध
इससे पहले पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने पीएम मोदी से 11 अक्टूबर 2021 की अधिसूचना से पहले मौजूद यथास्थिति को फिर से देखने और बहाल करने का आग्रह किया था। मालूम हो कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किमी करने का फैसला किया है। जिसके बाद से सीमा सुरक्षा बल को बढ़े हुए दायरे में राज्य पुलिस के समान गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती के अधिकार मिल गये हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने वाला फैसला: सरमा
वहीं, असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने केंद्र के फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा, ‘असम बीएसएफ के क्षेत्राधिकार के विस्तार का स्वागत करता है। राज्य पुलिस के समन्वय से, यह कदम सीमा पार तस्करी और अवैध घुसपैठ को नाकाम करने की दिशा में काम करेगा। यह राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हित को मजबूत करता है।’
दूसरे राज्यों में स्थिति क्या है?
हालांकि हैरान करने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य यानी गुजरात में सीमा सुरक्षा बल के इस अधिकार क्षेत्र में कटौती कर दी गई है। गुजरात में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र पहले 80 किमी के दायरे में आता था, जिसे घटाकर 50 कर दिया गया है।
वहीं राजस्थान में पहले से निर्धारित 50 किमी के दायरे में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। इसके अलावा गृह मंत्रालय ने मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख राज्य में सीमा सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र में किसी भी तरह की सीमा तय नहीं की है यानी सीमा सुरक्षा बल पूरे राज्य में कहीं भी कोई एक्शन लेने के लिए स्वतंत्र है।
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