Madhya prdesh: वैसे तो कुर्सी खतरे में होने की बात को शिवराज सिंह चौहान ने हर बार गलत साबित किया है। लेकिन सोमवार को भोपाल (Bhopal) में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस (janjati Gaurav Divas) के आयोजन के बाद चौहान की कुर्सी पर नए खतरे का साया मंडराने की बात कही जा रही है। हालांकि आदिवासी नेता अभी सीधे तौर पर इस बारे में कोई टिप्पणी करने से बच रहे है।
मध्यप्रदेश में लगभग 20 प्रतिशत हैं आदिवासी मतदाता
बीजेपी अगले साल होने वाले यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ ही 2023 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों को टारगेट करने में जुट गई है। देश में आठ प्रतिशत के लगभग आदिवासी वोट बैंक को साधने की भी उसकी तैयारी साफ तौर पर नजर आ रही है। 20 प्रतिशत के लगभग आदिवासी वोटरों वाले मध्यप्रदेश पर भाजपा की खास निगाह है। पार्टी की रणनीति से यदि सबसे ज्यादा किसी की सांसें फूल रही हैं तो वह हैं चार बार के सीएम शिवराज सिंह चौहान।
90 सीटों पर आदिवासी मतदाता तय करते हैं परिणाम
मध्यप्रदेश में जनजातीय वर्ग के लिये 47 सीटें रिजर्व है। सबसे ज्यादा 31 सीटें 2013 में भाजपा ने हासिल की थीं। 2018 में भाजपा इस सिलसिले को बरकरार नहीं रख पायी…मात्र 16 सीटें ही उसे मिल सकीं और सत्ता भाजपा के हाथों से निकल गई। वैसे कुल 90 सीटें मध्यप्रदेश में ऐसी हैं…जिन पर ट्राइबल वोट डिसाइडिंग होता है।
Expressway और Highway में क्या अंतर होता है?
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