देश की राजधानी दिल्ली में एक दिन के भीतर 24103 कोरोना के नए मामले सामने आए हैं वहीं 357 लोगों की मौत हो गई है। यहां पर आज मौत का सारा रिकॉर्ड टूट गया दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार कोरोना की बढ़ती रफ्तार को रोकने के लिए नाइट कर्फ्य, वीकेंड लॉकडाउन और लॉकडाउन का सहारा ले रही है लेकिन ताजा हालात को देखते हुए कोरोन संक्रमण पर कोई असर नहीं दिख रहा है। दिल्ली में पहले से ही 30 अप्रैल तक लॉकडाउन लगा हुआ है जिसे सरकार कोरोना कर्फ्यू कह रही है। खबर है कि, कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस लॉकडाउन को एक हफ्ते के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसपर आज केजरीवाल कैबिनेट अहम बैठक करने वाली है। लॉकडाउन को लेकर केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि, राजधानी में 3 मई तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि, यह फैसला दिल्ली की जनता के हित में लिया गया है। इससे हम संक्रमण को मात देने में कामयाब हो सकते हैं।

बता दें कि, दिल्ली में कोरोना मरीजों की बढ़ती रफ्तार के कारण अस्पतालों में बेड़ कम पड़ गया है। ऑक्सीजन की कमी पूरे देश में है। देश की राजधानी में मरीजों को सही इलाज नहीं मिल रहा है। मैक्स, सरगंगाराम जैसे बड़े अस्पतालों के बाहर मरीज इलाज के आभाव में दम तोड़ रहे हैं।

दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट 32% से ऊपर चल रहा है। अब ये रेट 32.27% हो गया।  यही कारण है कि, 19 अप्रैल की रात 10:00 बजे से दिल्ली में लॉकडाउन शुरू हुआ था, 26 अप्रैल की सुबह 5:00 बजे तक मौजूदा लॉकडाउन की अवधि है। रविवार को दिल्ली सरकार इस पर अंतिम फैसला लेगी।

फिलहाल राजधानी में 93,080 मरीजों का इलाज चल रहा है। इससे पहले शुक्रवार को दिल्ली में 348 मरीजों की मौत हुई थी। दिल्ली में ऑक्सीन की कमी को देखते हुए केजरीवाल ने केंद्र सरकार को पत्र लिख ऑक्सीजन की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने पत्र लिख कर सभी से अपील की है कि अगर उनके पास अतिरिक्त ऑक्सीजन है, तो दिल्ली को उपलब्ध कराएं। पिछले कुछ दिनों में कोरोना के गंभीर मामलों में तेजी से वृद्धि के कारण दिल्ली के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत हो रही है।

दिल्ली में ऑक्सीजन की बुरी खबर के बीच एक अच्छी खबर भी है। दिल्ली में बीते पांच दिनों में कोरोना से ठीक होने वाले मामलों का औसत रोजाना 20 हजार से अधिक है। 19 अप्रैल से 23 अप्रैल के बीच दिल्ली में एक लाख आठ हजार 411 लोगों ने कोरोना संक्रमण को मात दी है। इनमें से लगभग 25 हजार मरीज गंभीर रूप से बीमार थे।

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