अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम कालिखो पुल के सुसाइड नोट को लेकर एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पिछले दिनों मीडिया में सार्वजनिक हुए इस नोट में कांग्रेस और बीजेपी के कई नेताओं के अलावा कुछ पूर्व और कार्यरत जजों पर भी घूसखोरी के आरोप लगाए गए हैं। बता दें कि कालिखो पुल का सुसाइड नोट कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म् (सीजेएआर) ने सार्वजनिक किया है। इस सुसाइड नोट में हाईकोर्ट के कई पूर्व और वर्तमान जजों को घूस देने के दावे किए गए हैं।

APN GRABअरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल ने 9 अगस्त को सुसाइड करने से पहले एक 60 पेज का हिंदी में सुसाइड नोट लिखा था। इस 60 पेज के नोट में कई नेताओं और जजों पर सीधे तौर पर आरोप लगाए गए हैं साथ में ये भी उल्लेख किया गया है कि उनके परिवार को अरुणाचल प्रदेश सरकार से धमकियां मिलती हैं और प्रैस कांफ्रेस न करने की सलाह दी जाती है।

गौरतलब है कि कालिखो पुल ने डिप्रेशन के चलते सुसाइड किया था और उनका शव मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में लटका पाया गया था। पुल ने अपने करियर की शुरुआत एक स्कूल में बतौर चौकीदार के रुप में की थी और बाद में 20 फरवरी 2016 को सीएम के रुप में अरुणाचल प्रदेश की कमान संभाली थी। उनके कार्यकाल के पांच महीने बाद ही यानि 13 जुलाई 2016 को प्रदेश में सरकार की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर दी थी। जिसकी वजह से पुल को इस्तीफा देना पड़ा। इस्तीफा देने के महीने भर में ही पुल ने एक नोट छोड़कर आत्महत्या कर ली।

क्या लिखा था सुसाइड नोट में

आरोप लगाते हुए पुल ने लिखा कि मुझसे और मेरे करीबियों से कई बार संपर्क किया गया कि अगर मैं 86 करोड़ रुपए देता हूं तो फैसला मेरे हक में दिया जाएगा। वर्तमान सीएम पेमा खांडू पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए लिखा कि जनता खुद हिसाब लगा लें कि उनके पास क्या था और अब क्या है? इतना पैसा कहां से आया? उन्होनें लिखा कि उनका न्यायपालिका से भरोसा खत्म हो गया है। राष्ट्रपति शासन की घोषणा करना गलत फैसला था। ऐसे ही अपने 60 पेजों के खत में नाम सहित पुल ने कई संगीन आरोप लगाए गए थे।

अब अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कलिखो पुल की पत्नी दांग्विमसाई पुल ने अपने पति की मौत की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को 2 पन्नों चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में मांग की गई है कि आरोपों की जांच सीबीआई से करवाई जाए। आरोपों के दायरे में सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर जज भी शामिल हैं जो अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को खत्म करने से जुड़े फैसले में शामिल थे। इसलिए ये जरुरी है कि इन आरोपों को देखते हुए एफआईआर दर्ज की जाए और सीबीआई को जांच सौंपी जाए।

अब तक केंद्र सरकार ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन जिस तरह से जज और सत्ता के गलियारों के बड़े नाम उनके सुसाइड नोट में सामने आए हैं, उसे देखते हुए बहुत दिनों तक इसकी अनदेखी करना संभव नहीं होगा। माना जा रहा है कि सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के रुख का इंतजार करेगी।

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