भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार 10 फरवरी को अपने सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D2 (Small Sataellite Launch Vehicle) को अंतरिक्ष में लॉन्च कर दिया। लॉन्चिंग सुबह 9:18 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन प्रक्षेपण केंद्र से हुई। बता दें कि SSLV-D2 अपने साथ तीन और सैटेलाइट के साथ अंतरिक्ष की उड़ान भरी। इन सैटेलाइट्स में अमेरिका जानूस-1, चेन्नई के स्पेस स्टार्ट अप का आज़ादी सैट-2 और इसरो का EOS-7 शामिल है। बता दें कि SSLV पृथ्वी की निचली कक्षा में उड़ान भरेगा। ये सभी सैटेलाइट्स 450 किलोमीटर दूर ऑर्बिट में स्थापित की जाएंगी।
ISRO: जानें SSLV-D2 के बारे में
सबसे छोटे रॉकेट SSLV का व्यास 2 मीटर है। यह रॉकेट कुल 120 टन के भार के साथ उड़ान भर सकता है। एसएसएलवी-डी2 का वजन 175.2 किलोग्राम है, जिसमें ईओस सैटेलाइट का वजन 156.3 किलोग्राम, Janus-1 का वजन 10.2 किलोग्राम और AzaadiSat-2 का वजन 8.7 किलोग्राम है।
इसरो ने बताया कि SSLV 500 किलोग्राम तक की सैटेलाइट को लोअर ऑर्बिट में लॉन्च करने में काम में लाया जाएगा। बता दें कि इससे पहले अगस्त में इस रॉकेट की लॉन्चिग की गई थी लेकिन पहली उड़ान में ये असफल हो गई थी। ये लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड एक से की गई थी। लेकिन रॉकेट अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया था। गौरतलब है कि इससे पहले साल 2019 में इस रॉकेट से चंद्रयान-2, 2018 में GSAT-2,2017 में GSAT-1 और उससे पहले साल 2014 में क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फियरिक री-एंट्री एक्सपेरीमेंट (CARE) लेकर गया था। ये सारे मिशन भारत सरकार से जुड़े हुए थे।
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