भारत और भारतीय वायुसेना के लिए आज का दिन एक अतिमहत्वपूर्ण दिनों में से एक है. वायुसेना के जोधपुर एयरबेस में आज यानि 3 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना में देश में बना पहला हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर (Light Combat Helicopter –LCH ) शामिल किया गया. इसके साथ ही भारत दुनिया का सातवां लड़ाकू हेलीकॉप्टर बनाने वाला देश बन गया है.
10 एलसीएच शामिल
वायुसेना द्वारा पहली यूनिट में 10 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर शामिल हुए. कार्यक्रम में बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “1999 में कारगिल युद्ध के दौरान, इसकी जरूरत को गंभीरतापूर्वक अनुभव किया गया. तब से लेकर अब तक की, यानी दो दशकों की, देश की research & development (अनुसंधान एवं विकास) का प्रतिफल है LCH. भारतीय वायुसेना में इसका शामिल होने, हमारे रक्षा उत्पादन की राह में एक important milestone है.”
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि “हालिया Ukrainian Conflict हो, या इसके पहले के भी अनेक संघर्ष हों, हमें सीख देते हैं कि heavy weapon system (भारी हथियार सिस्टम) और platforms, जो युद्दक्षेत्र में तेज गति से मूवमेंट नहीं कर पाते हैं, उनकी capability (क्षमता) भी कम होती है, और कई बार वे दुश्मनों के लिए easy target हो जाते हैं.”
प्रचंड रखा गया इन हेलीकॉप्टरों का नाम
वायुसेना के जोधपुर स्थित स्टेशन में हुए एक समारोह में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, मुख्य रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी की उपस्थिति में इन (Light Combat Helicopter) हल्के हेलीकॉप्टरों का नामकरण किया गया. इन हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर का नाम ‘प्रचंड’ Prachand रखा गया है.
भारत में निर्मित
हेलीकॉप्टर को हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड- एचएएल (Hindustan Aeronautics Limited- HAL) द्वारा बेंगलुरु में बनाया गया है. 5.8 टन वजनी इस हेलीकॉप्टर की खासियत है कि ये पहाड़ी इलाके में आसानी से अपनी अधिकतम क्षमता के साथ मिसाइल और दूसरे हथियारों को संचालित कर सकता है. ये हेलीकॉप्टर दुश्मन के राडार से भी आसानी से बचा रह सकता है. एलसीएच के बॉडी और रोटर्स (पंखें) ऐसे बनाए गए हैं जिनपर गोली का कोई खास असर नही होगा.
बेंगलुरु में बनाए गए इन हेलिकॉप्टरों में 45 फीसदी स्वदेशी उपकरण लगाए गए हैं, इसके बाद के संस्करणों (Versions) में इनको बढ़ाकर 55 फीसदी कर दिया जाएगा.
कब हुई थी खरीद?
इसी साल मार्च 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Security) ने स्वदेश में विकसित 15 एलसीएच को 3 हजार 887 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए मंजूरी दी थी.रक्षा मंत्रालय के अनुसार इनमें से 10 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए और पांच थल सेना के लिए खरीदे गए हैं.
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर
अब तक भारत अपने युद्धक साजो-सामान का मौचे तौर पर आयात ही करता रहा है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस नीति में लगातार बदलाव देखा जा रहा है. इसी कड़ी में लड़ाकू अभियानों के लिए एक समर्पित हल्के हेलीकॉप्टर की भारतीय वायुसेना की आवश्यकता को पूरा करने के लिए Light Combat Helicopter (LCH) का प्रस्ताव किया गया था. लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) में उन्नत हल्का हेलीकॉप्टर (ALH) जैसी काफी समानताएं है.
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर को बर्फ से ढ़के सियाचिन से लेकर रेगिस्तान के रेत तक के अलावा समुद्री मिशनों पर भी तैनात किया जा सकता है. इस हेलीकॉप्टर को आगे से बहुत पतला बनाया गया है ताकि हवा का दवाब कम रहे और इसकी स्पीड पर असर ना पड़े.
जानकारी के अनुसार लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की टॉप स्पीड करीब 268 किलोमीटर प्रतिघंटा है. इस हेलीकॉप्टर में फाइटर प्लेन की तरह ही दो पायलट आगे पीछे बैठते हैं. जबकि सामान्य हेलीकॉप्टर में दो पायलट अगल बगल बैठते हैं.
वायुसेना के अटैक हेलीकॉप्टर
अभी भारतीय वायुसेना के पास रूस में बने एमआई-35 और अमेरिका से खरीदे गए अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर हैं. स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर में जरूरत के अनुसार हवा से हवा या फिर हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल लगाई जा सकती है. इस हेलीकॉप्टर का डिजाइन से लेकर उत्पादन तक देश मे ही हुआ है. वायुसेना के अनुसार 5.8 टन वजनी दो इंजन वाले इस हेलीकॉप्टर से पहले ही कई हथियारों के इस्तेमाल का परीक्षण किया जा चुका है.
अधिकारियों के अनुसार, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, ‘एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर’ ध्रुव से काफी समानता रखता है. उन्होंने बताया कि इसमें कई में ‘स्टील्थ’ (राडार से बचने की) विशेषता वाले हैं. इसके अलावा इन हेलीकॉप्टर में बख्तर सुरक्षा प्रणाली, रात को हमला करने और आपात स्थिति में सुरक्षित उतरने की क्षमता भी है.